जबलपुर (Jabalpur)। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल (High Court Justice Vivek Aggarwal) ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि अनारक्षित वर्ग के लिए निर्धारित सीट के आधार पर ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया जाता है। उल्लेखनीय है की निर्धारण पदों की संख्या के आधार पर ईडब्ल्यूएस वर्ग (EWS category) को दस प्रतिशत आरक्षण नहीं दिए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका मैं कहा गया था कि जितने भी पद लैब टेक्निशियनों के निकाले गए हैं उनका 10 फ़ीसदी आरक्षण ईडब्ल्यूएस सीटों पर रूप में किया जाए। याचिका के विरुद्ध में शासन की ओर से नियुक्त विशेष अधिवक्ता ने अदालत में तर्क रखा और बताया कि संविधान के अनुच्छेद 16(6) और 15(6) की गलत व्याख्यान करके अन्य भर्तियों में सामान्य प्रशासन विभाग ने रोस्टर जारी कर दिया है,जबकि संविधान के तहत 10 फ़ीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने का जो फार्मूला होना चाहिए वह बची हुई अनारक्षित सीटों के पैमाने पर ही होना चाहिए।याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पाया कि निर्धारित पदों में 122 पद ओबीसी, 46 पद एसटी तथा 13 पद एसटी वर्ग के लिए निर्धारित थे। सामान्य वर्ग के लिए 34 पद निर्धारित थे। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण सिर्फ सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित है। सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित संख्या के अनुसार दस प्रतिशत आरक्षण ईडब्ल्यूएस वर्ग को प्रदान किया गया है। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के अहम और बड़े फैसले के बाद अब मध्य प्रदेश के अलग-अलग विभागों में जो गलत रोस्टर के आधार पर भर्तियाँ की गई हैं अब उन पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं। हाईकोर्ट के आदेश के साथ उन तमाम याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है जिसमे 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण को अनारक्षित वर्ग के तुलना में दिए जाने को चुनौती दी थी।
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