
नई दिल्ली । मुंबई(Mumbai) में बढ़ते वायु प्रदूषण(air pollution) को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (Brihanmumbai Municipal Corporation)को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने चेतावनी(warning) दी कि अगर आगे स्थिति में सुधार नहीं किया गया, तो वह बीएमसी को भविष्य में किसी भी निर्माण परियोजना(construction project) को मंजूरी देने से रोकने का आदेश पारित कर देगी। बीएमसी को लताड़ लगाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि बढ़ते एक्यूआई के बाद भी बीएमसी प्रशासन ने इस पर आंखें मूंद रखी हैं।
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अदालत ने 2023 में लिए सुओ मोटो के आधार पर दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह याचिकाएं वायु गुणवत्ता सूचकांक में भारी गिरावट के बाद दर्ज की गई थीं। मुख्य न्यायाधीश चंद्र शेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखाड की पीठ ने बीएमसी से सवाल किया कि आखिर कैसे मुंबई जैसी घनी आबादी वाले शहर में 1000 करोड़ से अधिक लागत वाली 125 परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई?
न्यायाधीशों ने पूछा, “इतने छोटे और भीड़भाड़ वाले शहर में 1000 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं को कैसे स्वीकृति दी जा सकती है? यह बहुत ज्यादा है। अब हालात आपके नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं। आप स्थिति को नहीं संभाल पा रहे हैं।”
पीठ ने कहा कि बीएमसी ने इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं किया। यहां तक कि न्यूनतम आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं किया। वायु प्रदूषण को कम करने के उपायों को लागू करने के लिए इनके पास कोई ठोस व्यवस्था मौजूद नहीं है। न्यायाधीशों ने कहा, “बीएमसी बिल्कुल काम नहीं कर रही है। कोई निगरानी नहीं है। उसने इस मुद्दे पर पूरी तरह आंख मूंद ली है।”
बीएमसी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एस.यू.कामदार ने बताया कि मंगलवार को निगम की विशेष टीमों ने 39 निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बीएमसी की 91 विशेष टीमें निरीक्षण अभियान का हिस्सा नहीं बन पाईं क्योंकि इनके कई अधिकारी चुनावी ड्यूटी पर तैनात हैं। इस पर अदालत ने कहा कि चुनावी ड्यूटी कोई बहाना नहीं हो सकती, बीएमसी अगर चाहता तो आयोग को पत्र लिखकर इन अधिकारियों को छूट देने का आवेदन कर सकती थी।
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