
– दिव्य अग्रवाल
एक तरफ पूरा विश्व जिहादी कटटरपंथियो की अमानवीयता व् उपद्रवी सोच से पीड़ित है परन्तु भारत के सेक्युलर राजनेता इस उपद्रवी मजहबी सोच को रोकने , प्रतिबंधित या सुधारने के स्थान पर सत्ता की लोलुपता के कारण नित कुछ न कुछ प्रपंच कर वर्तमान में स्वम सुख भोग कर , भारत के सभ्य समाज को मजहबी जंगली भेडियो के समक्ष मरने हेतु छोड़ने पर आतुर हैं । इसी क्रम में सेक्युलर नेता दिग्विजय सिंह जिन्होंने कांग्रेस के शासन काल में हिन्दुओं को भगवा आतंकवादी घोषित करने में एवं जिहादी कटटरपंथियो के संरक्षण में कोई कमी नहीं छोड़ी थी ।
वो दिग्विजय सिंह कह रहे है की जहांगीरपुरी में पत्थर फेकने वालो को भाजपा ने पैसे दिए थे । अतः उनकी इस बात से यह तो स्पष्ट हो गया की दिग्विजय सिंह भी यह मानते है की जिहादी मानसिकता वाले लोगों को धन देकर कुछ भी करवाया जा सकता है । यह इस देश का दुर्भाग्य ही तो है की मजहबी कट्टरपंथियों को अपने उग्र मजहबी तकरीरों से प्रोत्साहित करने वाले असंख्य मौलानाओं की न तो इस देश में गिरफ्तारी होती है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय भी इन कट्टरपंथियों के विरुद्ध स्वतः कोई संज्ञान भी नहीं लेता है । जबकि कटटरपंथी , हिंसात्मक व् अमानवीय विचारो की सत्यता को उजागर करने वाले जीतेन्द्र नारायण त्यागी उर्फ़ वसीम रिजवी जैसे लोगो के उध्बोधन का संज्ञान माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा त्वरित ले लिया जाता है ।
इसी क्रम में जहांगीरपुरी मामले में कुछ ही घंटो के अंदर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा त्वरित सुनवाई कर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही को रोकने का आदेश पारित कर दिया जाता है । परन्तु लगभग तीन माह पश्चात भी जीतेन्द्र नारायण त्यागी को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सामान्य न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत अपना पक्ष रखने हेतु सुनवाई करने तक की भी तारीख नहीं मिल पाती है । यदि बात राजस्थान के करौली दंगे की करे तो सज्जन व् सभ्य समाज की अकर्मण्यता , भय और कायरता ही तो है। जो इतना सब होने के पश्चात भी अजमेर के महाकाल मंदिर में रोजा इफ्तार की दावत का आयोजन सभ्य समाज द्वारा भाईचारे का सन्देश देने हेतु किया जाता है । प्रत्येक बार ऐसा ही तो होता है पहले सज्जन व् सभ्य समाज, मजहबी उपद्रवियों द्वारा प्रताड़ित व् शोषित किया जाता है । तदोपरांत प्रताड़ित समाज ही अपने पूजा स्थलों , गृह स्थानों में दावतों का आयोजन कर सब कुछ सामान्य होने का नाटक कर जिहादी उपद्रवियो के समक्ष आत्मसमर्पण कर देता है।
यह सत्य है की दुर्जन के समक्ष सज्जन द्वारा आपसी सद्भाव हेतु किया गया प्रत्येक प्रत्यत्न कायरता की निशानी होता है। इन्ही कारणों की वजह से आज प्रताड़ित होते हुए भी हिन्दू समाज की आवाज को अंतर्राष्ट्रीय व् राष्ट्रीय पटल पर कोई उठाने तक की हिम्मत नहीं कर पाता है एवं राजनेता सब कुछ जानते हुए भी जिहादी मानस्किता वाले लोगो का चरण चुंबन करने हेतु आतुर रहते हैं।
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