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1089 करोड़ से बनेगा इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर, ठेके को मिली मंजूरी

December 18, 2025

  • लुधियाना की कम्पनी बनाएगी, 20 गांवों के जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी प्रशासन ने शुरू की, फिलहाल धारा 21 के तहत चल रही है कार्रवाई

इंदौर। शासन ने अभी तीन बड़े कॉरिडोर के निर्माण की मंजूरी दी है, जिसमें इंदौर-उज्जैन फोरलेन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर भी शामिल है। 1089 करोड़ में इसका ठेका मंजूर किया गया है और लुधियाना की कम्पनी इसका निर्माण करेगी। सिंहस्थ के मद्देनजर इस कॉरिडोर का निर्माण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिसके चलते शासन ने पिछले दिनों इसके लिए 2000 करोड़ रुपए से अधिक की मंजूरी दी है। भू-अर्जन का विरोध भी हालांकि किसानों द्वारा किया जा रहा है, तो दूसरी तरफ प्रशासन भी लगातार किसानों से चर्चा चल रहा है। इस कॉरिडोर के निर्माण में इंदौर के साथ-साथ उज्जैन जिले की भी जमीन ली जाएगी। इसमें इंदौर जिले के 20 और उज्जैन जिले की 8 गांवों की जमीनें शामिल है। 48 किलोमीटर लम्बे इस ग्रीन फील्ड कॉरिडोर के लिए फिलहाल धारा 21 के तहत भू-अर्जन की प्रक्रिया चल रही है।

7 मीटर चौड़ा यह कॉरिडोर बनेगा, जिसमें तीन फ्लायओवर भी निर्मित किए जाएंगे और छोटे-बड़े 35 पुल-पुलियाओं का भी 48 किलोमीटर के कॉरिडोर का निर्माण होगा। इसमें इंदौर जिले के 2 तहसीलों की जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। एसडीएम घनश्याम धनगर के मुताबिक पूर्व में अधिग्रहित की जाने वाली जमीनों के अधिग्रहण के लिए धारा 19 के तह प्रकाशन कर दिया था, जिसमें स्वामित्व, रकबे की जमीन, जमीन का विरण सार्वजनिक किया गया और उसके आधार पर सुनवाई सहित अन्य प्रक्रिया जारी है। अभी धारा 21 के तहत कार्रवाई प्रचलित की है और फिर भूअर्जन अधिनियम के तहत अवॉर्ड पारित किया जाएगा। लगभग 175 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जाएगी, जिसमें 650 किसानों की जमीनें आ रही है। इसमें हातोद तहसील के 255 किसानों की लगभग 75 हेक्टेयर, सांवेर तहसील की 395 किसानों की लगभग 100 हेक्टेयर निजी के साथ सिंचित भूमि भी है।


पिछले दिनों धारा 19 के प्रकाशन के साथ ही प्रभावित किसानों का रिकॉर्ड सार्वजनिक कर दिया था। इस कॉरिडोर का निर्माण एयरपोर्ट के आगे गोम्मटगिरी के पास पितृ पर्वत से शुरू होकर उज्जैन के चिंतामण गणेश तक बनेगा, जिससे सिंहस्थ के मद्देनजर इंदौर से उज्जैन जाने के लिए एक और महत्वपूर्ण सडक़ उपलब्ध हो सकेगी। इससे पीथमपुर से भी कनेक्टिविटी बढ़ेगी और एयरपोर्ट से भी सीधे उज्जैन पहुंचा जा सकेगा। अभी इंदौर-उज्जैन का जो वर्तमान फोरलेन है, उसे भी सिक्स लेन में परिवर्तित किया जा रहा है, जिस पर इन दिनों तेजी से काम चल रहा है और यही कारण है कि लगातार इस पर यातायात अवरुद्ध रहता है। यही कारण है कि इंदौर से उज्जैन जाने वाले लोग क्षिप्रा के आगे जो नया फोरलेन बना है, जो कोटा तक जाता है, उसका इस्तेमाल करने लगे हैं। इस फोरलेन पर यातायात का दबाव भी कम है और भोपाल से आने वाले यात्री भी उज्जैन जाते वक्त इसी फोरलेन का इस्तेमाल करते हैं।

अभी शासन ने इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर के निर्माण का ठेका मंजूर कर दिया और लुधियाना की कम्पनी इसका निर्माण करेगी और यात्रा का समय भी घटकर 40-45 मिनट रह जाएगा। 48. 10 किलोमीटर लम्बा और 60 मीटर चौड़ा यह कॉरिडोर तैयार होगा और अभी लुधियाना की कम्पनी सीगल इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्रा.लि. को इसका ठेका मंजूर किया गया है। दूसरी तरफ किसानों द्वारा अन्य प्रोजेक्टों की तरह इस कॉरिडोर के लिए ली जा रही जमीन का भी विरोध किया जा रहा है और अभी उज्जैन में सिंहस्थ के मद्देनजर जो वहां के प्राधिकरण ने 4 टीपीएस योजनाएं घोषित की थी, उसे भी निरस्त कर दिया, जिसके चलते किसान संगठनों द्वारा इस कॉरिडोर के अलावा पूर्वी-पश्चिमी बायपास, इंडस्ट्रीज कॉरिडोर सहित रेलवे लाइन के लिए ली जा रही जमीनों का भी विरोध किया जा रहा है। इन किसानों का कहना है कि कई अन्य रोड भी उज्जैन जाने के लिए उपलब्ध हैं। लिहाजा इस कॉरिडोर की आवश्यकता नहीं है। हालांकि शासन इस ग्रीन फील्ड कॉरिडोर का निर्माण सिंहस्थ से पहले ही पूरा करना चाहता है। यही कारण है कि एमपीआरडीसी ने कॉरिडोर निर्माण का ठेका भी अभी मंजूर कर दिया।

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