
इंदौर। 65 साल पुरानी छावनी अनाज मंडी को शिफ्ट करने की कवायद वर्षों से चल रही है और कुछ समय पूर्व इसकी जिम्मेदारी प्रशासन ने प्राधिकरण को सौंपी। मोरोद में वन विभाग की लगभग 200 एकड़ जमीन पर आधुनिक मंडी विकसित करवाई जाएगी और इसके बदले शासन वन विभाग को संभाग के किसी भी जिले में इतनी ही जमीन अदला-बदली के तहत आवंटित करेगा। हालांकि अभी जमीन की तलाश जारी है। बुरहानपुर, झाबुआ सहित कई जिलों में इतनी जमीन देखी जा रही है, जो वन विभाग को आवंटित की जा सके। प्राधिकरण जो मंडी बनाकर देगा उसके एवज में उसे छावनी अनाज मंडी की 17 एकड़ जमीन मिलेगी।
प्राधिकरण छावनी अनाज मंडी की बीच शहर में मौजूद जमीन का भू-उपयोग मास्टर प्लान में बदलवाकर व्यावसायिक भी करवाएगा और फिर व्यावसायिक भूखंडों को टेंडर के जरिए बेचेगा, ताकि मोरोद में विकसित की जाने वाली मंडी पर खर्च होने वाली राशि की प्रतिपूर्ति की जा सके। 1960 में छावनी अनाज मंडी विकसित की गई थी और तब यहां 145 अनाज व्यापारी कारोबार करते थे। उसके बाद यह संख्या लगातार बढ़ती गई और अब चूंकि यातायात भी इस पूरे क्षेत्र में जाम रहता है और घने क्षेत्र में यह मंडी मौजूद है, जिसे शहर से बाहर शिफ्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रशासन ने मोरोद में 75 हेक्टेयर पर आधुनिक मंडी विकसित करवाने का निर्णय लिया। चूंकि यह जमीन वन विभाग की है, लिहाजा इसके बदले उसे संभाग के किसी भी जिले में इतनी ही जमीन शासन के माध्यम से आवंटित करवा दी जाएगी। पहले बुरहानपुर में 86 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई थी, मगर बाद में इस पर भी निर्णय नहीं हो सका। प्राधिकरण ने जिस कंसल्टेंट फर्म को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है वह लगातार जमीन की तलाश में जुटी है और जब तक जमीन की अदला-बदली नहीं होगी, तब तक प्राधिकरण मंडी को विकसित करने का काम नहीं कर पाएगा।
इस आधुनिक मंडी में चौड़ी सडक़ें, पेट्रोल पंप से लेकर विशाल पार्किंग के साथ किसानों के ठहरने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। छावनी के सभी अनाज व्यापारियों को इस नई मंडी में शिफ्ट किया जाएगा। अभी बीच शहर में उपज को लाने-ले जाने में भी परेशानी होती है। अभी पुलिस प्रशासन ने वाहनों की एंट्री पर रोक के साथ कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए हैं। प्राधिकरण का कहना है कि अभी तक मोरोद की जमीन उसे हासिल नहीं हुई है, जिसके चलते मंडी से जुड़ा काम शुरू नहीं हो पाया। बीच में यह भी चर्चा चल रही थी कि प्राधिकरण के बजाय खुद मंडी बोर्ड यह कार्य करे, मगर फिर तय किया गया कि प्राधिकरण के माध्यम से ही आधुनिक मंडी विकसित कराई जाएगी।
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