
इंदौर। मध्यप्रदेश में एक और नया प्रयोग मोहन सरकार आगामी वित्त वर्ष यानी अप्रैल से शुरू कर रही है, जिसमें लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू जैसी जांच एजेंसियों को 40 लाख रुपए का विशेष फंड दिया जाएगा, जिसका उपयोग रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़ाए जाने वाले मामलों में किया जाएगा और उसके बाद शिकायतकर्ताओं को उनकी रिश्वत के रूप में दी जाने वाली राशि अभियोजन की कार्रवाई शुरू होते ही दी जाएगी। अभी इसके लिए वर्षों इंतजार करना पड़ता है और लगभग 3 करोड़ रुपए फिलहाल शिकायतकर्ताओं के फंसे हैं।
अभी आए दिन लोकायुक्त रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ सरकारी कर्मचारियों को पकड़ता है, जिसमें शिकायतकर्ता को रिश्वत की मांगी गई राशि अपनी जेब से देना पड़ती है, जो रंगे हाथों पकड़ाई कार्रवाई के दौरान जब्त कराई जाती है और फिर जब तक मामले का निराकरण कोर्ट से नहीं होता तब तक यह राशि फंसी रहती है। इसमें 5 हजार से लेकर 5 लाख या उससे भी अधिक की राशि शामिल रहती है, जिसके चलते कई शिकायतकर्ता अपनी राशि फंसने के डर सेसामने भी नहीं आते हैं। मगर अब सामान्य प्रशासन विभाग 40 लाख रुपए का एक विशेष फंड बनाएगा, जिसके चलते शिकायकर्ता को उसके द्वारा पकड़ाई गई राशि अभियोजन की कार्रवाई शुरू होते ही मिल जाएगी और दूसरी तरफ उतनी ही राशि शासन द्वारा बनाए गए फंड में से इस्तेमाल कर ली जाएगी।
अभी 5, 10, 15 साल तक शिकायतकर्ताओं की यह राशि फंसी रहती है और कोर्ट से प्रकरण का निपटारा होने पर ही यह राशि प्राप्त होती है और उस पर भी उसे कोई ब्याज या फायदा नहीं मिलता और मूल राशि ही हाथ आती है। अब रिश्वतखोरों को पकड़ाने के बाद शिकायतकर्ता की राशि विशेष फंड सेलौटादी जाएगी। इससे अब शासन का मानना है कि रंगे हाथों रिश्वत लेने वाले मामलों की संख्या भी बढ़ेगी। ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त जैसी प्रदेश की जांच एजेंसियों को भी इस विशेष फंड सेफायदा होगा, क्योंकि अभी कई शिकायतकर्ताओं के पास उतनी राशि नहीं होती या सालों तक फंसे रहने के चलते भी वे पीछे हट जाते हैं। अब चूंकि शिकायतकर्ताओं को उनकी मूल राशि जल्द ही प्राप्त हो जाएगी। लिहाजा वे बड़ी राशि का भी बंदोबस्त कर सकेंगे। शासन का मानना है कि इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ होने वाली कार्रवाई को बढ़ावा मिलेगा।
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