
भोपाल। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां पर आंकड़ों में सर्वाधिक गरीब रहते हैं, लेकिन वास्तविकता इससे अलहदा है। हालात यह हैं कि प्रदेश में करीब 5 करोड़ से अधिक लोग प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ ले रहे हैं। इनमे से करीब आधे गरीब तो ऐसे हैं, जो वास्तविकता में अमीर हैं, लेकिन सरकारी सुविधाओं के गरीब बने हुए हैं। इसकी वजह से कई बार गरीब रह जाते हैं और अमीर उनकी सुविधाओं का फायदा उठा ले जाते हैं। यही नहीं ऐसे लोगों की वजह से प्रदेश में गरीबी की हालत यह है कि उसे देश के 29 राज्यों में से 27वें स्थान पर रखा गया है। इसकी वजह से अब सरकार फर्जी गरीबों पर सरकार शिकंजा कसने जा रही है। इसके लिए अभियान चलाकर फर्जी अमीरों के नाम सार्वजनिक वितरण प्रणाली से बाहर किए जाएंगे। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा सभी राशन हितग्राहियों का ई-केवाईसी और आधार सत्यापन कराया जाएगा। यह अभियान 19 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच चलेगा। दरअसल प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकार से रियायती दरों पर राशन लेने वाले वास्तविक उपभोक्ताओं की पहचान सुनिश्चित करने, हकदारी अनुसार सामग्री की प्रदायगी, प्रदाय सामग्री की हितग्राही को सूचना देने, ओएनओआर के तहत किसी भी उचित मूल्य दुकान से राशन प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करने और अपात्र एवं अस्तित्वहीन हितग्राहियों के विलोपन और नवीन हितग्राहियों के नाम जोडऩे के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में सम्मिलित पात्र हितग्राहियों के ई-केवायसी और डाटाबेस मोबाइल नंबर दर्ज किए जाने की कार्यवाही इस अभियान में की जाएगी।
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