
नई दिल्ली । पंजाब(Punjab) के लुधियाना (Ludhiana)से इंसान और एक घोड़े की अनोखी और भावुक कर देने वाली कहानी सामने आई है। अपने घोड़े फतेहजंग(Horse Fatehjang) की मौत से इसके मालिक खासी(Owner Khasi) कलां के रहने वाले चरणजीत सिंह मिंटा इतने दुखी हुए कि उन्होंने आत्मिक शांति के लिए भोग समागम तक रख दिया है। इसके लिए बाकायदा कार्ड छपवाए और गुरुद्वारा साहिब में कार्यक्रम रखा, जिसमें सभी जान-पहचान वालों और रिश्तेदारों को न्योता दिया गया है। भोग समागम आज होगा।
फतेहजंग को मानते थे अपना तीसरा बेटा
चरणजीत सिंह मिंटा ने बताया कि घोड़े पालना और उनसे प्यार करना उनके खून में है। 3 पीढ़ियों से घोड़े पाल रहे हैं। इससे पहले उनके पिता और दादा भी घोड़े पालते थे। फतेहजंग घोड़े का जन्म उनके घर में ही हुआ। बचपन से ही वह बहुत दोस्ताना था। उसका रंग नीला था इसलिए उससे उनको प्यार हो गया। वो और उनकी पत्नी उसे अपना बच्चा मानने लगे। बच्चे विदेश में थे तो सारा दिन इसी के साथ गुजारते थे।
चरणजीत के 2 बेटे विदेश में रहते हैं। वह पत्नी के साथ लुधियाना में रहते हैं। चरणजीत सिंह ने कहा कि जब भी कोई पूछता है कि आपके कितने बच्चे हैं तो वो एकदम से जवाब देते हैं कि 3 बच्चे हैं। बड़े बेटे का नाम गुरइकबाल सिंह आस्ट्रेलिया, दूसरे का नाम मनलोचन सिंह यूएसए और तीसरे बेटे का नाम फतेह जंग सिंह इंडिया बताते हैं।
अचानक अंगों ने काम करना बंद कर दिया
चरणजीत सिंह ने बताया कि फतेह जंग की उम्र 38 महीने थी। वह बिल्कुल स्वस्थ था। 8 अक्टूबर को अचानक उसकी तबीयत खराब हुई और उसकी मौत हो गई। मौत के बाद उसके टेस्ट करवाए तो पता चला कि उसे अंगों ने अचानक काम करना बंद कर दिया, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। इस से उन्हें बहुत आघात लगा और वह उदास रहने लगे। चरणजीत सिंह फतेहजंग को पूरे उत्तर भारत में प्रदर्शनियों में लेकर जाते थे। लोग उसे बहुत पसंद करते थे। उन्होंने बताया कि इसी साल इसे लेकर जोधपुर के महाराजा के पास भी गए थे। उन्होंने भी इसकी तारीफ की थी।
जब फतेहजंग की मौत हुई तो चरणजीत सिंह मिंटा उदास रहने लगे। उनके रिश्तेदारों को जैसे ही पता चला तो वो पटियाला से एक नीले रंग का घोड़ा लेकर उनके पास आए और उन्हें दे दिया। चरणजीत ने कहा कि नए घोड़े का नाम भी उन्होंने फतेहजंग ही रखा है।
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