
इंदौर (Indore)। मतगणना में अभी भी 8 दिन का समय शेष है और किसकी सरकार बनेगी यह सवाल सबकी जुबां पर है। राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों से लेकर कार्यकर्ता गुणा-भाग करने में जुटे हैं। वहीं एक विश्लेषण यह भी सामने आया कि जो राजनीतिक दल 2 करोड़ से ज्यादा वोट हासिल कर लेगा प्रदेश में उसकी सरकार बन जाएगी। पिछली दफा हालांकि भाजपा का वोट प्रतिशत कांग्रेस से थोड़ा ज्यादा था, मगर 7 सीटें कम मिली थी और फिर बसपा, निर्दलीय व अन्य की सहायता से कांग्रेस ने 114 सीटें हासिल करने के बाद सरकार बना ली थी, जो 15 महीने बाद धराशायी हो गई।
इस बार 5 करोड़ 60 लाख वोटरों में से लगभग 4 करोड़ 40 लाख वोटों की गिनती 3 दिसम्बर को होना है। यानी ये वोटर नेताओं की 5 साल की तकदीर लिखेंगे। फिलहाल तो सट्टा बाजार से लेकर सारे विश्लेषणों में कांग्रेस-भाजपा के बीच सीटों का अधिक अंतर नहीं आ रहा है और अगर 10-20 सीटें भाजपा को कम पड़ती है तो सरकार बनाने में तो उसकी मास्टरी है ही। इस बार भी मतदान और मतगणना में लम्बा अंतराल हो गया, जिसके कारण हर तरह से विश्लेषण किया जा रहा है। आज राजस्थान में और फिर 30 नवम्बर को तेलंगाना में मतदान हो जाएगा। उसके बाद फिर 3 दिसम्बर को एक साथ 5 राज्यों के चुनाव परिणामों की घोषणा होना है। प्रदेशभर के नेता, कार्यकर्ता, मीडिया से लेकर हर कोई इन परिणामों पर टकटकी लगाए बैठा है और हर तरह से विश्लेषण हार-जीत के किए जा रहे हैं।
मतदान का प्रतिशत तो पूरे प्रदेश से लेकर हर विधानसबा सीट और उसके बूथों तक का सामने आ चुका है। वहीं अगर वोटों की बात करें तो 4 करोड़ 40 लाख ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल 17 नवम्बर को हुए मतदान के दिन किया है, जिसमें इस बार महिलाओं, यानी खासकर लाडली बहनाओं के वोटों को लेकर सबसे अधिक मगजपच्ची चल रही है। कांग्रेस को इसी वोट बैंक से खुटक है। हालांकि वह इसका तोड़ ओपीएस और युवा वर्ग में हुए बदलाव को मान रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जो पार्टी सभी 230 सीटों पर कुल मिलाकर 2 करोड़ से अधिक वोट हासिल कर लेगी उसकी सरकार बनना तय है। उल्लेखनीय है कि पिछली बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोटिंग प्रतिशत 40.89 था। जबकि भाजपा का उससे अधिक 41.02 प्रतिशत था। लेकिन भाजपा को कांग्रेस की तुलना में 5 सीटें कम मिली, जिसके चलते वह सरकार नहीं बना पाई। हालांकि 230 सीटों में से 116 सीटों से बहुमत आ जाता है और कांग्रेस ने निर्दलीय, बसपा व अन्य को जोडक़र सरकार बना ली थी। इस बार भी भाजपा का मानना है कि उसका वोट प्रतिशत उतना या उससे अधिक रहेगा।
भाजपा से अधिक लाड़ली बहनाओं को लेकर शिवराज आश्वस्त
भाजपा को तो लाडली बना पर भरोसा है ही। मगर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तो उसे गेम चेंजर मानकर कह रहे हैं कि लाडली बहनाओं ने एकतरफा भाजपा को ही वोट दिया है, जिसके चलते इस बार भी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में भाजपा ही उभरेगी और सरकार बनाएगी। कल उज्जैन महाकालेश्वर के दर्शन के बाद शिवराज ने यहर भी कहा कि लाडली बहनों का वोट साइलेंट यानी चुप नहीं, बल्कि मुखर ही रहा और प्रदेशभर का जो उन्होंने दौरा किया, उसमें लाडली बहनाओं का अपार उत्साह और प्यार उन्हें मिला है और अब तो लाडली लक्ष्मी और लाडली बहना के बाद लखपति बहना की बारी है।
48 सीटों पर लाड़ली बहनाओं का 6 फीसदी वोट घटा भी
एक तरफ लाडली बहना को लेकर दोनों ही दलों के विश्लेषण हैं, तो 48 सीटें ऐसी भी निकली जिनमें पिछले चुनाव की तुलना में महिलाओं के मतदान प्रतिशत में 6 फीसदी तक की गिरावट आई है। यानी इन 48 सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिला मतदान कम रहा। इसमें भोपाल, बड़वानी, सरदारपुर, खुरई, बड़वाह, मनावर, खंडवा, खाचरोद से लेकर महू, बुरहानपुर, नागोद, चितरंगी, मानधाता, सरदारपुर, रेगांव की सीटें शामिल हैं, जहां पर पौने 2 प्रतिशत से लेकर साढ़े 3 और अधिकतम 6 फीसदी तक महिला मतदान में 2018 के चुनाव की तुलना में कमी आई है।
सरकारी कर्मचारियों के साथ युवाओं पर टिकीं निगाहें
कांग्रेस का मानना है कि 2 करोड़ से अधिक वोट उसको मिलेंगे, तो भाजपा 1 करोड़ 80 लाख से 90 लाख के बीच रह जाएगी। अगर लाडली बहना 1 करोड़ 31 लाख है, तो अन्य महिलाओं की संख्या भी 1 करोड़ 42 लाख होती है। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों और ओल्ड पेंशन स्कीम का भी लाभ कांग्रेस को मिलेगा, तो जो युवा मतदाता हैं वे भी इस बार भाजपा से नाराज हैं, क्योंकि बेरोजगारी, कांस्टेबल भर्ती, पटवारी भर्ती सहित अन्य में जो धांधलियां हुईं उसके चलते ये युवा नाराज हैं और शिक्षकों की भी प्रदेशव्यापी नाराजगी लगातार सामने आती रही है।
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