
खंडवा। परिजनों की रोकटोक से परेशान बिहार (Bihar) की दो नाबालिग सहेलियों (Minor Friends) ने मुंबई (Mumbai) में बसने का प्लान बना लिया। प्रेमियों (Lovers) से बात की तो उन्होंने साथ देने की हामी भर दी। दोनों ने प्रेमियों से कहा कि पहले तुम जाओ, फिर हम आते हैं। प्रेमियों ने लड़कियों (Girls) को मुंबई (Mumbai) की ट्रेन (Train) में बैठा दिया। लड़कियों के भागने की बात परिजन को पता लगी तो पुलिस के पास पहुंचे। मोबाइल लोकेशन सर्चिंग की गई। इसके आधार पर खंडवा रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (Railway Protection Force) ने उन्हें स्टेशन पर उतार लिया और सरकारी खानापूर्ति के बाद परिजन को सौंप दिया।
लड़कियां बिहार के नालंदा जिले की रहने वाली हैं। एक ही स्कूल में दसवीं क्लास में पढ़ती हैं। खंडवा बाल कल्याण समिति ने काउंसलिंग की तो पता चला कि एक छात्रा अपने दादा-दादी तो दूसरी अपने माता-पिता और भाई से परेशान थी। एक के पिता दिल्ली में मिट्टी के बर्तन बनाते हैं, तो दूसरी के पिता अहमदाबाद की फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं।
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने बताया कि 15 और 16 साल की सहेलियां नालंदा के एक गांव में आसपास ही रहती हैं। दोनों के नाबालिग प्रेमी भी उसी मोहल्ले में रहते हैं। वे अधिकतर समय अपने प्रेमियों से फोन पर बात करती रहती थीं। परिजन उन्हें टोकते थे। इसी कारण परिवार में आए दिन विवाद होता रहता था।
उन्होंने प्रेमियों के साथ मुंबई जाकर शादी करने और वहीं बसने का प्लान बना लिया। लड़कियों के कहने पर उनके प्रेमियों ने करीब 10 दिन पहले मुंबई जाकर किराए का मकान देख लिया था। मुंबई में ही रहने वाले दोस्त की मदद से वहां रहने के लिए व्यवस्थाएं जुटा ली थीं। गांव लौटकर लड़कियों से कहा- पहले तुम जाओ। वहां 8 दिन रहो, उसके बाद हम आते हैं।
खंडवा में RPF ने रेलवे स्टेशन पर उतारा 23 अगस्त को दोनों सहेलियां जनता एक्सप्रेस ट्रेन में सवार होकर मुंबई के लिए निकलीं। उनके पास मोबाइल थे, जो उन्होंने छात्रवृत्ति योजना में मिले रुपयों से खरीदे थे। इन्हीं मोबाइलों को ट्रेस करके नालंदा पुलिस ने उनकी लोकेशन निकाली। फिर खंडवा RPF को सूचना दी। खंडवा रेलवे स्टेशन पर 24 अगस्त की रात साढ़े 11 बजे RPF ने दोनों सहेलियों को उतार लिया।
27 घंटे का सफर करके परिजन खंडवा लेने पहुंचे खंडवा RPF ने लड़कियों के परिजन को सूचना दी। वे स्थानीय पुलिस के साथ मंगलवार दोपहर टैक्सी से खंडवा पहुंचे। 1400 किलोमीटर का सफर 27 घंटे में तय किया। यहां बाल कल्याण समिति ने परिजन के बयान दर्ज किए और लड़कियों को उनको सुपुर्द कर दिया। इस दौरान एक छात्रा ने अपने भाई के साथ जाने से मना कर दिया। भाई भी घबरा गया कि रास्ते में फिर कोई गड़बड़ न हो जाए। समिति ने दोनों भाई-बहन को समझाइश दी और घर के लिए रवाना किया।
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