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बिजली कंपनी का निगम को झटका, बिजली के खम्भे भी हटाओ और स्क्रैप का पैसा भी चुकाओ

December 10, 2025

कई सडक़ें चौड़ी… लेकिन बिजली के खम्भे बाधक बने

इंदौर। इंदौर (Indore) नगर निगम (Municipal council) की स्थिति इतनी बुरी हो गई है कि अब हर तरफ से उसे झटका ही मिल रहा है। ताजा मामला बिजली कंपनी (electricity company) का है। इस कंपनी ने भी अब नगर निगम को झटका दे दिया है और सडक़ चौड़ीकरण में होने वाली पोल शिफ्टिंग (Pole shifting) के काम में निकलने वाले स्क्रैप पर अपना अधिकार जता दिया है।


नगर निगम द्वारा जब भी किसी सडक़ को चौड़ा करने का काम किया जाता है तो उसे कई मोर्चों पर जूझना पड़ता है। इसमें एक तरफ जहां सडक़ को चौड़ा करने में बाधक बन रहे निर्माण हटाने का संघर्ष रहता है तो दूसरी तरफ सडक़ के नीचे मौजूद अंडरग्राउंड जनसुविधाओं की शिफ्टिंग का मामला भी होता है। इसके साथ ही एक बड़ा मामला बिजली के खम्भों को शिफ्ट करने का रहता है। अब तक हमेशा नगर निगम द्वारा बिजली के नए खम्भे लगवाकर पुराने खम्भे हटाए जाते हैं और बिजली की लाइन को शिफ्ट करने का काम बिजली कंपनी के माध्यम से कराया जाता है। इस पूरे कार्य में नगर निगम द्वारा बिजली कंपनी को सुपरविजन चार्ज के रूप में कुल लागत की 15 प्रतिशत राशि दी जाती है। अब तक यह सब कुछ इसी तरह से चल रहा था। अब बिजली कंपनी के मुख्यालय से एक नया फरमान आ गया है, जिसमें कहा गया है कि सडक़ पर लगे बिजली के खम्भे बिजली कंपनी की ही संपत्ति है। यदि नगर निगम द्वारा सडक़ को चौड़ा करने अथवा सडक़ का नवनिर्माण करने के लिए खम्भे हटाए जाते हैं तो ऐसे में हटाए गए खम्भे, यानी स्क्रैप पर बिजली कंपनी का ही अधिकार होगा। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक होगा कि नगर निगम द्वारा निकाले गए बिजली के खम्भे बिजली कंपनी को सौंपे जाएं। लेकिन यदि नगर निगम यह खम्भे नहीं देता है तो ऐसी स्थिति में नगर निगम को बिजली कंपनी द्वारा किए गए वैल्यूएशन के हिसाब से इन खम्भों के स्क्रैप की कीमत चुकाना होगी। इस समय नगर निगम द्वारा मास्टर प्लान के प्रावधान के अनुसार 25 सडक़ों का निर्माण शुरू करने की कसरत की जा रही है। इस कसरत में बिजली कंपनी का यह फरमान मुश्किल पैदा कर रहा है।

अब ठेकेदार चुकाएगा बिजली कंपनी को राशि
नगर निगम द्वारा जो प्रोजेक्ट तैयार किया जाता है उसमें सडक़ का निर्माण करने वाली एजेंसी को ही बिजली के नए खम्भे लगाने का काम भी करना होता है। इन खम्भों के स्क्रैप की कीमत अब तक नगर निगम ठेकेदार को भुगतान की जाने वाली राशि में से काट लेता था। अब बदली हुई स्थिति में निगम द्वारा फैसला लिया गया है कि हम स्क्रैप की कीमत ठेकेदार की राशि से काटकर बिजली कंपनी को भुगतान कर देंगे। अब तक इस स्क्रैप का वैल्यूएशन निगम द्वारा किया जाता था। अब यह वैल्यूएशन बिजली कंपनी द्वारा किया जाएगा। ऐसे में निश्चित है कि वैल्यूएशन की कीमत में भी अंतर आ जाएगा। नगर निगम के अधिकारी तो ठेकेदार के लाभ के लिए कम वैल्यूएशन भी कर देते थे। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए निगम आयुक्त यादव द्वारा कल सिटी बस कार्यालय के सभागार में मास्टर प्लान की 23 सडक़ों के निर्माण का ठेका लेने वाली एजेंसियों के प्रतिनिधियों को बुलाकर उनकी मीटिंग ली गई। इस मीटिंग में इन लोगों को बदले हुए नियम की जानकारी देकर इस बात पर सहमत किया गया कि स्क्रैप की राशि बिजली कंपनी की मांग के अनुसार आपके बिल से काटी जाएगी और बिजली कंपनी को चुकाई जाएगी। ठेका लेने वाले ठेकेदार न-नुकुर करते हुए निगम अधिकारियों के दबाव में आखिरकार सहमत हो गए। इस तरह इस समस्या का समाधान निकल सका।

निगम उठाता है बिजली के खंभे का खर्च नगर निगम द्वारा सडक़ पर जो भी बिजली के नए खम्भे लगवाए जाते हैं तो उसका खर्च भी खुद उठाया जाता है। ऐसे में निश्चित तौर पर निकाले गए खम्भे पर भी नगर निगम का ही अधिकार होगा। निगम जहां भी खम्भे लगवाकर बिजली की लाइन डलवाता है तो उसे बाद में बिजली कंपनी को हैंडओवर कर देता है।

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