
जबलपुर। प्रदेश की राजनीति में इन दिनों कैबिनेट विस्तार और निगम-मंडलों में नई नियुक्तियों की सुगबुगाहट तेज हो गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में नए साल के आगमन से पहले ही प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में बड़े फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही हैं। माना जा रहा है कि लंबे समय से खाली पड़े निगम-मंडलों के पदों पर कार्यकर्ताओं की ताजपोशी का इंतजार अब जल्द ही खत्म हो सकता है। बीते कुछ वक़्त से जबलपुर में इन कुर्सियों के दावेदार बड़ी तादाद में जोर आजमाइश कर रहे हैं।
खराब प्रदर्शन वाले मंत्रियों पर गिर सकती है गाज
सूत्रों के अनुसार, मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना भी प्रबल है। मुख्यमंत्री और पार्टी संगठन एक आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर खराब प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों की समीक्षा कर रहे हैं। जिन मंत्रियों का काम संतोषजनक नहीं रहा है या जो संगठन के कार्यक्रमों में पीछे रहे हैं, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। प्रदेश में 40 से ज़्यादा निगम-मंडल, बोर्डों और प्राधिकरणों में पिछले दो साल से नियुक्तियाँ अटकी हुई हैं। नई नियुक्तियों में अनुभवी नेताओं और पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं को मौका मिलने की उम्मीद है। यह भी माना जा रहा है कि पार्टी, लोकसभा चुनाव को देखते हुए, विभिन्न जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने का प्रयास करेगी। कैबिनेट विस्तार के तहत, 3-4 मंत्रियों को बाहर किया जा सकता है, जबकि 6-7 नए चेहरों को शामिल कर कैबिनेट को ज्यादा मजबूत बनाने की योजना है।
नए साल में नेताओं को मिलेगा तोहफा
नए साल का समय उन नेताओं के लिए खुशियों भरा हो सकता है जो लंबे समय से पार्टी की सेवा कर रहे हैं और पद की प्रतीक्षा में हैं। पार्टी संगठन इन नेताओं को निगम-मंडलों में महत्वपूर्ण पद देकर संतुलित करने का प्रयास करेगा। दावा किया जा रहा है कि निगम-मंडलों की नियुक्तियों में अब ज्यादा देर नहीं है, क्योंकि संगठन जल्द ही एक संयुक्त रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपने वाला है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही अंतिम सूची तैयार की जाएगी। प्रदेश की जनता और राजनीतिक वर्ग दोनों की निगाहें अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पर टिकी हैं कि वह कब कैबिनेट विस्तार और निगम-मंडलों में नियुक्तियों का अंतिम निर्णय लेते हैं।
जबलपुर से भी कई नाम दौड़ में, दिग्गजों को तवज्जो
निगम-मंडलों की नियुक्तियों को लेकर जबलपुर संभाग से भी कई वरिष्ठ नेताओं के नाम प्रमुखता से चल रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की टीम में स्थानीय और अनुभवी चेहरों को शामिल किया जा सकता है। माना जा रहा है कि पूर्व विधायकों, पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों और ऐसे नेताओं पर दाँव लगाया जाएगा जो लोकसभा चुनाव के मद्देनजऱ अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं। खास तौर पर, वे कार्यकर्ता जो वर्षों से संगठन के लिए समर्पित रहे हैं और जिनकी छवि बेदाग है, उन्हें निगम-मंडलों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। इस दौड़ में कुछ पूर्व महापौरों और क्षेत्रीय उपाध्यक्षों के नाम भी सबसे आगे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि क्षेत्र से संतुलन साधने के लिए दो से तीन नेताओं को इन महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जा सकता है, जिससे महाकौशल क्षेत्र में पार्टी का आधार और मजबूत हो सके। नए साल की शुरुआत में ही इन नामों पर मुहर लगने की संभावना है।
विधायक मंत्री बनने लगा रहे जोर, लॉबिंग हुई तेज
निगम-मंडलों में नियुक्तियों की सुगबुगाहट के बीच, कई विधायक अब कैबिनेट विस्तार में जगह पाने के लिए दिल्ली और भोपाल में जोर-शोर से लॉबिंग कर रहे हैं। मंत्रियों के खराब प्रदर्शन पर गाज गिरने की अटकलों ने इन विधायकों में उम्मीद जगा दी है। मुख्यमंत्री और संगठन के शीर्ष नेताओं से मुलाकात का सिलसिला तेज हो गया है। माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान ने लोकसभा चुनाव से पहले क्षेत्रीय, जातीय और अनुभवी संतुलन साधने के लिए नए चेहरों को मौका देने का मन बना लिया है। विधायकों द्वारा मंत्री पद के लिए दावेदारी पेश करने में खास तौर पर वे नेता आगे हैं जो पूर्व में किसी पद पर रह चुके हैं या जिनके पास संगठन का लंबा अनुभव है। वर्तमान में 3-4 मंत्रियों के हटने और उनके स्थान पर 6-7 नए चेहरों को शामिल किए जाने की संभावना है। हर विधायक अपने क्षेत्र में पार्टी की मजबूती और जनाधार का हवाला देते हुए मंत्री पद की दौड़ में शामिल होने का प्रयास कर रहा है। जबलपुर में भी उम्मीदें सातवें आसमान पर हैं, लेकिन, ये बहुत आसान होगा, ऐसा हरगिज नहीं है।
धूप सेंकने निकल रहे मगरमच्छ, गांवों में दहशत
जबलपुर,अग्निबाण। इन दिनों पड़ रही कड़ाके की ठंड से न सिर्फ मनुष्य बल्कि वन्य प्राणी भी प्रभावित हैं। जल में रहने वाले जलचर भी ठंड से राहत पाने धूप सेंकने निकल रहे हैं। मगरमच्छों की शरणस्थली बन चुके परियट जलाशय से लगे गांव मटामर, घाना, रिठौरी, पिपरिया सहित आसपास की कालोनियों के पास भी अक्सर धूप सेंकते मगरमच्छ दिखाई दे रहे हैं। ये मगरमच्छ भटककर और शिकार की तलाश में रहवासी इलाकों में पहुंच रहे हैं, जिससे लोगों में दहशत है। ग्रामीण वन विभाग को सूचना दे रहे हैं, वहीं वन विभाग के अधिकारी सिर्फ रेस्क्यू का आश्वासन दे रहे हैं। गौरतलब है कि मगरमच्छों ने परियट नदी को प्राकृतिक रहवास बना लिया है। घाना स्थित चाकघाट क्षेत्र में मगरमच्छ की अत्यधिक मौजूदगी देखी जाती है। परियट नदी में करीब 1000 से अधिक मगरमच्छ हैं। इंसानी दखल बढऩे से उनका प्राकृतिक निवास क्षेत्र घटता जा रहा है, यही कारण है कि वे रहवासी इलाकों तक पहुंचकर घरों में घुसने लगे हैं। पालतू श्वान और मवेशियों पर हमले के मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि अब तक किसी मनुष्य पर हमला नहीं हुआ है। ग्राम सरपंच मगरमच्छों से निजात दिलाने की मांग कर चुके हैं। वन्य प्राणी विशेषज्ञ शकरेंद्र नाथ मुकर्जी के अनुसार परियट नदी मगरमच्छों का प्रमुख स्थल बन चुकी है।
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