
नई दिल्ली। जीएसटी टैक्स (GST Tax) में प्रस्तावित सुधारों को अगली पीढ़ी का जीएसटी बताते हुए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों (Senior Government Officials) ने शनिवार को कहा कि दो स्लैब वाली कर व्यवस्था (Two-slab tax system) क्रमिक रूप से सिंगल बिक्री/सर्विस टैक्स स्लैब (Single Sales/Service Tax Slab) का रास्ता खोलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2047 तक सिंगल टैक्स स्लैब हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित नयी जीएसटी व्यवस्था, जिसमें टैक्स स्लैब को कम करते हुए केवल पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो स्लैब निर्धारित किए गए हैं, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी और शुल्क के खतरों को भी कम करने में मदद करेगी। अगर जीएसटी परिषद द्वारा प्रस्तावित दो स्लैब वाली व्यवस्था को मंजूरी मिल जाती है, तो यह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के मौजूदा चार स्लैब की जगह ले लेगी। इसके साथ ही 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के स्लैब खत्म हो जाएंगे।
क्या कहा अधिकारी ने?
इसे अगली पीढ़ी का जीएसटी बताते हुए एक सरकारी अधिकारी ने कहा- यह एक क्रांतिकारी सुधार है। भारत में देखे गए आर्थिक सुधारों की श्रेणी में, यह सबसे ऊपर है। अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था का अर्थ यह होगा कि लगभग सभी सामान्य उपयोग की वस्तुएं निम्न कर श्रेणी में आ जाएंगी, जिससे कीमतों में कमी आएगी और उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। अधिकारी ने कहा कि कर कम होने का मतलब है कि लोगों की जेब में ज़्यादा पैसा आएगा। इससे ज़ाहिर है खपत बढ़ेगी।
क्या है इसके पीछे का तर्क?
अधिकारियों ने इस कवायद के पीछे के तर्क को समझाते हुए कहा कि सरकार द्वारा रोजमर्रा की जरूरी और सामान्य वस्तुओं पर पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने तथा बुरी समझे जाने वाली वस्तुओं पर 40 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव एक बड़ा और सोच-समझकर उठाया गया कदम है। लगभग छह महीने की लगातार बैठकों और विचार-विमर्श के बाद किए गए इन बदलावों को इस तरह से तैयार किया गया है कि बार-बार कर दरों को बदलने की जरूरत न पड़े और कर में कटौती (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का पैसा कहीं अटका न रहे।
अधिकारियों ने कहा कि जैसे ही केंद्र का प्रस्ताव मंत्रियों के समूह (जीओएम) और जीएसटी काउंसिल से मंजूर हो जाएगा, टैक्स स्लैब में बार-बार होने वाले उतार-चढ़ाव खत्म हो जाएंगे और व्यवस्था स्थिर हो जाएगी। अधिकारी ने बताया, ”हमने अगली पीढ़ी के जीएसटी का सुझाव मध्यम वर्ग, गरीबों, किसानों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को ध्यान में रखकर दिया है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीजों पर कर कम रहे।
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