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श्वेताम्बर जैन समाज ने मनाया दो दिनी सेवा-भावना का अनूठा पर्व, सारे गच्छ-पंथ ने मिलकर भक्ति भाव दिखाया

December 24, 2025

इंदौर। जैन श्वेताम्बर समाज (Jain Shwetambar Community) के सभी गच्छ और पंथ (Gachh and Panth) के सैकड़ों लोगों की भव्य मौजूदगी में जैन श्वेताम्बर सोशल ग्रुप फेडरेशन की 15वीं राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस नाकोड़ाजी तीर्थ (National Conference Nakodaji Pilgrimage) पर भारी उत्साह के साथ संपन्न हुई, जिसमें भक्ति के साथ ही डेढ़ हजार से अधिक समाजजनों की विभिन्न प्रांतीय वेशभूषा में अनेक धार्मिक संदेशों के साथ विशाल शोभायात्रा (Grand Procession) निकली। कार्यक्रम में दो वर्षों में किए गए मानव सेवा, जीव दया, शिक्षा, पर्यावरण, रचनात्मक कार्य और अंगदान, नेत्रदान के कार्य के लिए सभी ग्रुप अध्यक्षों को बेस्ट अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ मनीष सुराणा परिवार ने ध्वज फहराकर किया। वहीं मुख्य अतिथि राजेश चेलावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के टूटते परिवार, समाप्त होती परिवार परम्परा और आदर भाव को बचाने का कार्य ऐसे संगठन के माध्य्म से ही संभव हो सकता है। इतने बड़े पैमाने पर देशभर से समाज के लोगों को एकत्रित करना और फिर उन्हें अच्छे कार्य करने की प्रेरणा देकर प्रोत्साहित करना निरंतर प्रक्रिया के साथ एक भगीरथी कार्य है। राजस्थान के पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि आज की जरूरत को 30 वर्ष पहले महसूस कर जो संगठन बनाया वो समाज के लिए प्रेरणा है।


संस्थापक अध्यक्ष विजय मेहता ने सभी ग्रुप को और अधिक ऊर्जा से कार्य करने की प्रेरणा देते हुए संदेश दिया कि हम जितने संगठित रहेंगे उतने सशक्त, समृद्ध, सेवाभावी रहेंगे, क्योंकि संगठन के साथ रहने में मर्यादा और संस्कारों का पालन होता है, जो हमें टूटने से बचाता है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय छाजेड़ ने सभी 1600 दंपतिजनों को शुभकामनाएं दीं और आभार माना। दो दिन चले इस समारोह में अनेक विषयों पर फेडरेशन के विमल नाहर, शिखरचंद बाफना, किशोर पोरवाल, प्रकाश वोहरा, विजय ललवानी, राजेश भंडारी, संतोष मामा ने भी अपने विचार रखे। मुख्य संयोजक शैलेष जैन, दिलीप भंडारी, विजय ललवानी, राजेश भंडारी ने समारोह की संपूर्ण व्यवस्था की। संचालन दिलीप भंडारी ने किया। महासचिव मनोहर लोढ़ा, नीलेश पोखरना और अनिल नाहर ने आभार व्यक्त किया।

जैन संदेशों के साथ निकली शोभायात्रा
समारोह के दौरान निकली विशाल शोभायात्रा में एक हजार से अधिक सदस्यों ने विभिन्न प्रांतीय वेशभूषा और अनेक धार्मिक संदेशों के साथ 56 भोग का अर्पण पाश्र्वनाथ प्रभु के सामने किया, जिसका बहुमान मनोहर लोढ़ा अशोक राजगढ़ ने लिया।

जो संत नहीं कर पाए वो संगठन ने कर दिखाया
मैत्री से संगठन और संगठन से सेवा…यही मूल मंत्र लेकर 30 वर्ष पूर्व गठित जैन श्वेताम्बर सोशल ग्रुप फेडरेशन ने जो काम बड़े-बड़े संत नहीं कर पाए वह करते हुए सभी गच्छ-पंथ को एक ध्वज के नीचे लाकर कर दिखाया। देश के अलग-अलग प्रांत और शहरों में अपनी पैठ बना चुके संगठन के सैकड़ों लोग मानव सेवा, जीव दया, अंगदान, चिकित्सा, शिक्षा के क्षेत्र में तत्पर हैं।

संस्कारों की अधूरी शिक्षा … सच सुनना नहीं सिखाया जाता…
चेलावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कारों की अधूरी शिक्षा के चलते समाज में दुविधाओं की स्थिति बनी हुई है। हमें सच बोलना सिखाया जाता है, लेकिन सच सुनना कोई नहीं सिखाता। माता-पिता की सेवा करने के संस्कार दिए जाते हैं, लेकिन सास-ससुर की सेवा करने का पाठ नहीं पढ़ाया जाता, जिसके कारण घरों में सास-बहू के झगड़े आमतौर पर नजर आते हैं। वहीं कई घरों में विघटन की स्थिति बन जाती है। उन्होंने कहा कि शॉपिंग मॉल से लेकर बाजार में आप कैमरे की निगाहों में हैं जैसे बोर्ड देखकर हम सतर्क होजाते हैं, वहीं कर्म करते समय यह नहीं सोचते कि हम सब ईश्वर की निगाहों में हैं। उन्होंने कहा कि हम जब विदेश जाते हैं तो उस देश की करंसी की अंतिम पाई तक खर्च कर देते हैं, क्योंकि अपने देश में उसकी कोई कीमत नहीं होती, लेकिन संसार में रहकर पाने और हासिल करने की होड़ में इकट्ठा करते जाते हैं, जबकि एक दिन दुनिया छोडक़र जाना होता है।

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