
नई दिल्ली । चुनाव आयुक्त अरुण गोयल (Election Commissioner Arun Goyal) की नियुक्ति को लेकर (Regarding the Appointment) गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार से (To the Central Government) कई सवाल पूछे (Asked Many Questions) । चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर सुनवाई हुई। केंद्र ने नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ी फाइल कोर्ट को सौंपी। इसे देखने के बाद बेंच ने कई सवाल पूछे। यह भी पूछा कि अरुण गोयल का नाम एक ही दिन में कैसे फाइनल हो गया? कोर्ट ने 23 नवंबर को केंद्र से चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज तलब किए थे।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सवाल पूछा कि चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए कानून मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री की मंजूरी के लिए भेजे गए चार नामों को शॉर्टलिस्ट करने के पीछे क्या मानदंड थे ? पीठ ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र तंत्र की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की थी कि यह उचित होता अगर मामले की सुनवाई के दौरान नियुक्ति नहीं की जाती।
गुरुवार को केंद्र सरकार ने संविधान पीठ को अरुण गोयल की निर्वाचन आयुक्त पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित फाइल सौंपी। सरकार ने कहा कि नियुक्ति की ओरिजिनल फाइल की प्रतियां पांचों जजों को दी गई हैं। सुनवाई के दौरान पीठ ने नियुक्ति के तरीके पर भी सवाल उठाए। जस्टिस अजय रस्तोगी ने इतनी तेजी से फाइल आगे बढ़ने और नियुक्ति करने पर सवाल खड़े किए। उन्होंने पूछा कि 24 घंटे के भीतर सारी जांच पड़ताल कैसे कर ली गई ?
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत को सूचित किया था कि गोयल को गुरुवार को सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी गई थी और उनकी नियुक्ति को दो दिनों के भीतर पक्का किया गया था। आज भारत के अटॉर्नी जनरल द्वारा पेश की गई फाइलों को देखने के बाद पीठ ने इस बात पर सवाल उठाए कि एक दिन के भीतर ही नियुक्ति क्यों की गई ? पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से यह भी पूछा कि एक व्यक्ति, जिसका कार्यकाल 6 वर्ष की अवधि का भी नहीं होगा उसे नियुक्त क्यों किया गया?
जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि 15 मई को पद खाली हुआ, ऐसे में सरकार ने इस पर नियुक्ति के लिए जल्दबाजी क्यों की ? उसी दिन क्लीयरेंस, उसी दिन नोटिफिकेशन, उसी दिन मंजूरी। फाइल 24 घंटे भी नहीं घूमी। यह तो बिजली की गति से भी तेज हुआ। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वो सभी बातों का जवाब देंगे, लेकिन अदालत उनको बोलने का मौका तो दें। जस्टिस ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि क्या व्यवस्था कायम है और प्रक्रिया ठीक काम कर रही है? डेटाबेस सार्वजनिक डोमेन में है और कोई भी इसे देख सकता है?
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved