नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (SC) ने आज (सोमवार, 22 दिसंबर को) उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर जंगलों की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे (Illegal occupation) और अतिक्रमण पर ना सिर्फ नाराजगी जाहिर की बल्कि मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए खुद ही एक केस शुरू कर दिया। दरअसल, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच के सामने उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में संरक्षित जमीन पर अनाधिकृत कब्जे से जुड़ा एक मामला आया था, जिस पर पीठ ने जंगल की जमीन पर निर्माण कार्य तुरंत रोकने का आदेश दिया और वन विभाग को सभी खाली ज़मीन पर कब्ज़ा करने का आदेश दिया। ठंडी की छुट्टियों के पहले दिन अवकाशकालीन पीठ के सामने यह मामला आया था।
सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने समय पर कार्रवाई न करने के लिए राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की। CJI सूर्यकांत ने कहा, “हमारे लिए यह चौंकाने वाली बात है कि उत्तराखंड राज्य और उसके अधिकारी मूक दर्शक बनकर बैठे हैं, जबकि उनकी आँखों के सामने जंगल की जमीन पर कब्ज़ा किया जा रहा है। इसलिए हम खुद ही एक केस शुरू कर रहे हैं।” इसके बाद जस्टिस कांत ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव और प्रधान संरक्षण सचिव को एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने और उसकी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया।
5 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई
बेंच ने अगला आदेश जारी होने तक वहां सभी चल रही या प्लान की गई गतिविधियों पर रोक लगा दी है। इस कदम का मकसद यह पक्का करना है कि जब तक मामला कोर्ट के विचाराधीन है, तब तक ज़मीन पर कोई और बदलाव न हो। बेंच ने आदेश दिया कि कोर्ट के दोबारा खुलने पर 5 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई होगी। बता दें कि उत्तराखंड में जंगल की ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा एक बड़ी चिंता बन गई है। मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि नाजुक पहाड़ी इलाकों के बड़े हिस्से में अतिक्रमण फैल गया है। कई इलाकों में, खासकर तेज़ी से बढ़ते शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों के पास, जंगल की जमीन पर धीरे-धीरे निजी इस्तेमाल के लिए कब्ज़ा कर लिया गया है, अक्सर बिना किसी औपचारिक इजाजत के।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved