
इंदौर। एक तरफ पंजीयन विभाग में फर्जी रजिस्ट्री कांड की गूंज है, तो दूसरी तरफ ईओडब्ल्यू जांच की चपेट में आए वरिष्ठ जिला पंजीयक अमरेश नायडू ने एक और फर्जीवाड़ा किया और 21 जुलाई को निकला अपना तबादला आदेश ही छुपा लिया और परवारे हाईकोर्ट में स्टे के लिए याचिका लगा दी। हालांकि स्टे हासिल नहीं हुआ और तबादला आदेश की पोल अलग खुल गई, जिसके चलते कलेक्टर ने ताबड़तोड़ कार्यमुक्त कर दिया। पहले से ही देवास तबादला हुए वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा को भी कार्य मुक्त किया गया। हालांकि उनके कार्यकाल में पंजीयन विभाग ने कई सफलताएं हासिल कीं और राजस्व भी बढ़ा, तो फर्जी रजिस्ट्री कांड उजागर करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
दूसरी तरफ पिछले दिनों ईओडब्ल्यू ने 13 करोड़ रुपए की स्टाम्प ड्यूटी चोरी के मामले में प्रकरण पंजीबद्ध किए, जिसमें श्री नायडू भी फंसे। 21 जुलाई को उनका तबादला आदेश भोपाल से जारी हो गया था। मगर सूत्रों का कहना है कि डिप्टी सेक्रेटरी और एक बाबू के जरिए यह आदेश भोपाल में ही रोककर रखा गया और इंदौर नहीं भिजवाया। मगर कल जब प्रमुख सचिव को जानकारी पता लगी तो कलेक्टर से कहकर ताबड़तोड़ कार्यमुक्त करवाया। दरअसल हाईकोर्ट में लगी याचिका के चक्कर में ही यह पोल खुली,क्योंकि ईओडब्ल्यू ने भी इस संबंध में जानकारी मांगी कि केस डायरी कोर्ट में प्रस्तुत करना है।

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