
नई दिल्ली: दिल्ली-NCR के गंभीर वायु प्रदूषण (Air Pollution) से जुड़े एक मामले को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सामने मेंशन किया गया है. एमिकस क्यूरी अपराजिता सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकारें तब तक कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह पालन नहीं करतीं, जब तक कि कोर्ट सख्ती से उन्हें लागू करने का आदेश न दे. इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रदूषण के स्तर के बावजूद कुछ स्कूलों ने अपने खेल प्रोग्राम जारी रखे हुए हैं. इससे पता चलता है कि प्रोटोकॉल और निर्देश मौजूद हैं, लेकिन जमीन पर उनको मजबूती से लागू नहीं किया जा रहा है.
जिसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि हम समस्या को जानते हैं और आइए हम ऐसे आदेश पारित करें जिनका पालन किया जा सके. कुछ निर्देश ऐसे हैं, जिन्हें जबरदस्ती लागू नहीं किया जा सकता. इन शहरी महानगरों में लोगों की अपनी जीवनशैली है, लेकिन गरीब मजदूर सबसे ज्यादा पीड़ित हैं. CJI ने सभी पक्षकारों से कहा कि एक बार एमिकस नियुक्त हो जाने पर, अपने सुझाव आदि एमाइकस को भेजें न कि प्रेस और मीडिया को. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि यह मामला बुधवार को तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष आएगा और इस पर सुनवाई होगी.
CJI और एमिकस दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव गरीब मजदूर वर्ग पर पड़ता है, जो बाहर खुले में काम करते हैं और अक्सर महंगे सुरक्षा उपकरण (जैसे एयर प्यूरीफायर या एन95 मास्क) नहीं खरीद सकते. CJI ने कहा कि अमीर वर्ग अपनी जीवनशैली (जैसे, कारों का उपयोग, एसी का इस्तेमाल) बदलने को तैयार नहीं है, जिससे प्रदूषण होता है, लेकिन इसकी कीमत गरीबों को चुकानी पड़ती है. यह पर्यावरणीय न्याय का एक मुद्दा है.
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