
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बुधवार को एक महिला (Woman) तीन जजों की एक पीठ के सामने अड़ गई। शीर्ष अदालत (Supreme Court) में एक मामले की वर्चुअल सुनवाई के दौरान पीठ ने महिला को व्यतिगत रूप से अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया। इस पर महिला ने साफ इनकार करते हुए कहा कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video conferencing) के माध्यम से ही कोर्ट में दलील दे पाएगी। उच्चतम न्यायालय ने महिला को आने जाने में होने वाले सभी खर्चें देने की भी पेशकश की, लेकिन महिला ने इससे इनकार कर दिया। महिला ने कोर्ट को निजी कामों में व्यस्त रहने का हवाला दिया।
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ कोर्ट में महिला द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। महिला अपनी तरफ से खुद दलीलें दे रही थी। जब कोर्ट ने महिला से पूछा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा मदद की पेशकश के बावजूद वह व्यक्तिगत रूप से क्यों उपस्थित नहीं हो रही, तो उसने कहा कि उसे अपने परिवार में किसी की देखभाल करनी है। महिला ने कहा कि वह काफी दूर रहती है और नौकरी भी करती है इसीलिए वह कोर्ट नहीं आ सकती।
महिला ने कोर्ट से कहा, “मेरे दलील देने से आपको दिक्कत क्या है? कोर्ट ने महिला से पूछा, “नौकरी ज्यादा जरूरी है या ये केस जिसके लिए आप दलील दे रही हैं? इसके लिए आप एक दिन भी नहीं निकाल सकतीं?” इस पर महिला ने कहा कि उसके लिए नौकरी ही ज्यादा जरूरी है। महिला के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने उसे उसकी पसंद का एक सुप्रीम कोर्ट वकील मुफ्त में नियुक्त करने और दिल्ली आने-जाने का खर्च उठाने की भी पेशकश की, लेकिन महिला अपनी जिद पर ही अड़ी रही।
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