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दुनिया का सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति फिर लड़ेगा चुनाव… 100 साल तक सत्ता में रहने की सनक!

July 22, 2025

याओंदे । विश्व के सबसे बुजुर्ग राष्ट्राध्यक्ष (World’s oldest Head of state) कैमरून के राष्ट्रपति पॉल बिया (Cameroon’s President Paul Biya) हैं जिनकी उम्र 92 वर्ष है। मजेदार बात ये है कि पॉल बिया ने अभी भी रिटायरमेंट का फैसला नहीं किया है। उन्होंने अक्टूबर 2025 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) में फिर से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है। इस कदम से उनकी 43 साल की सत्ता सात साल तक और बढ़ सकती है। यानी वह 100 वर्ष की आयु तक सत्ता में बने रह सकते हैं। बिया 1982 से सत्ता में हैं और उन्होंने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की, जिसमें उन्होंने कहा, “मैं 12 अक्टूबर 2025 के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार हूं। निश्चिंत रहें कि आपकी सेवा करने का मेरा संकल्प हमारे सामने मौजूद गंभीर चुनौतियों के अनुरूप है।”


बिया ने अपने बयान में दावा किया कि उनकी उम्मीदवारी का फैसला कैमरून के सभी क्षेत्रों और प्रवासी समुदायों से “अनेक और आग्रहपूर्ण” अनुरोधों के बाद लिया गया है। हालांकि, उनकी लंबी सत्ता को लेकर देश के भीतर और बाहर से ताजा नेतृत्व की मांग तेज हो रही है। कई विपक्षी नेताओं और नागरिक समाज समूहों ने बिया के शासन को आर्थिक और लोकतांत्रिक विकास में बाधक बताया है।

विपक्ष की चुनौती और जनता की क्या प्रतिक्रिया?
बिया की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद कई विपक्षी नेताओं ने भी चुनाव में उतरने की घोषणा की है। इनमें 2018 के उपविजेता मौरिस काम्टो (कैमरून रेनेसां मूवमेंट), जोशुआ ओसिह (सोशल डेमोक्रेटिक फ्रंट), अकेरे मुना, और कैब्रल लिबी (कैमरून पार्टी फॉर नेशनल रिकॉन्सिलिएशन) शामिल हैं। ये सभी बिया के लंबे शासन की आलोचना करते हुए सुधारों और निष्पक्ष चुनाव की मांग कर रहे हैं।

विपक्षी नेताओं का कहना है कि बिया के शासन में भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन, और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में विफलता ने देश को संकट में डाल दिया है। कैमरून रेनेसां मूवमेंट के महासचिव क्रिस्टोफर एनकॉन्ग ने कहा, “पापा, आपने अपना सर्वश्रेष्ठ कर दिया। क्या अब आप किसी अन्य कैमरूनवासी को सत्ता सौंपने के लिए नहीं जा सकते?”

राजधानी याओंदे की सड़कों पर लोगों ने बीबीसी को बताया कि वे राजनीति पर खुलकर टिप्पणी करने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें प्रतिशोध का डर है। एक व्यक्ति ने गुमनाम रहते हुए कहा, “मैंने कभी नहीं देखा या सुना कि इतनी उम्र का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी की घोषणा कर रहा हो।”

बिया का शासन: उपलब्धियां और विवाद
पॉल बिया 1982 में अपने पूर्ववर्ती अहमदौ अहिद्जो के इस्तीफे के बाद सत्ता में आए। उनके शासनकाल में कैमरून ने आर्थिक संकट का डटकर सामना किया और एकदलीय शासन से हटकर बहुदलीय व्यवस्था की ओर बढ़ा। हालांकि, उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार, धन के गबन, और कुप्रबंधन के आरोप लगातार लगते रहे हैं। 2008 में, बिया ने संविधान में संशोधन कर कार्यकाल की सीमा को समाप्त कर दिया, जिससे वह अनिश्चितकाल तक राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। 2018 के चुनाव में उन्होंने 71% से अधिक वोट हासिल किए, लेकिन विपक्ष ने व्यापक अनियमितताओं का आरोप लगाया। बिया की सेहत को लेकर भी अक्सर सवाल उठते रहे हैं। पिछले साल उनकी छह सप्ताह से अधिक की सार्वजनिक अनुपस्थिति ने उनकी सेहत और शासन करने की क्षमता पर अटकलों को जन्म दिया, जिसमें उनकी मृत्यु की अफवाहें भी शामिल थीं।

युवाओं की निराशा और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां
कैमरून में जहां औसत आयु केवल 18 वर्ष है और औसत जीवन प्रत्याशा 63 वर्ष है, वहां युवाओं में बिया के शासन के प्रति निराशा बढ़ रही है। डौआला में एक 27 वर्षीय मोटरसाइकिल टैक्सी ड्राइवर आंद्रे औआंदजी ने कहा, “हमने कई साल पहले सरकार पर भरोसा करना छोड़ दिया।” देश में बेरोजगारी, बढ़ती कीमतें, और खराब सार्वजनिक सेवाएं आम शिकायतें हैं। 2023 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 80% कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत है, और एक तिहाई आबादी प्रतिदिन 2 डॉलर या उससे कम पर जीवनयापन करती है। पश्चिमी कैमरून में अंग्रेजी भाषी अलगाववादियों द्वारा स्वतंत्रता की घोषणा के बाद हिंसा की आशंका भी बढ़ रही है। 2018 के चुनाव के दौरान हुई हिंसक झड़पों में कई लोग मारे गए थे, और इस बार भी सुरक्षा को लेकर चिंताएं हैं।

विपक्षी नेताओं पर दबाव
विपक्षी नेताओं ने निष्पक्ष चुनाव की संभावनाओं पर सवाल उठाए हैं। कैमरून पीपल्स पार्टी की नेता काह वाल्ला ने कहा, “अगर मैं सामान्य राजनीतिक बैठक भी नहीं कर सकती, तो मैं उम्मीदवार कैसे बन सकती हूं?” उनकी पार्टी ने इस बार भी चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है। मौरिस काम्टो को पेरिस में एक रैली के बाद नजरबंद किया गया, और उनके कुछ समर्थकों को हिरासत में लिया गया।

चुनाव से पहले बिया ने युवाओं को आकर्षित करने के लिए सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी यह रणनीति प्रभावी नहीं हो रही है। मीडिया इंटेलिजेंस सरल के निदेशक रोस्तांत ताने ने बीबीसी को बताया, “कैमरून में 54 लाख से अधिक सोशल मीडिया यूजर्स हैं, लेकिन 95% युवा व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं, जहां राष्ट्रपति की मौजूदगी लगभग न के बराबर है।”

बिया की सत्तारूढ़ कैमरून पीपल्स डेमोक्रेटिक मूवमेंट (CPDM) और उनके समर्थकों ने पिछले साल से ही उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया है। हालांकि, हाल ही में उनके दो करीबी सहयोगी, पूर्व मंत्री इस्सा त्चिरोमा बकारी और पूर्व प्रधानमंत्री बेलो बौबा मैगारी, ने सत्तारूढ़ गठबंधन छोड़कर अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है। त्चिरोमा ने कहा कि बिया के शासन ने “प्रगति को धीमा कर दिया और जनता के साथ विश्वास का रिश्ता तोड़ दिया।”

मानवाधिकार समूहों ने असहमति पर कथित दमन और 2024 में होने वाले संसदीय चुनावों को 2026 तक स्थगित करने की आलोचना की है। बिया के सामने विपक्ष खंडित है, जिसके कारण वह अक्टूबर के चुनाव में प्रबल दावेदार बने हुए हैं। हालांकि, सोशल मीडिया पर पोस्ट-बिया भविष्य की चर्चा बढ़ रही है, और कुछ लोग गैबॉन जैसे विवादित चुनावों के बाद अशांति की आशंका जता रहे हैं।

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