
इंदौर। राजस्व महाअभियान का द्वितीय चरण समाप्त होने के बाद ही अन्य अभियानों की सुगबुगाहट शुरू हो गई है, लेकिन आरसीएमएस पोर्टल, सारा ऐप व अन्य तरह के पोर्टलों की धीमी गति पर किसी भी राजनीतिक प्रतिनिधि, मुख्यमंत्री या अधिकारियों का ध्यान नहीं जा रहा है। तकनीकी परेशानियां जहां पेंडेंसी बढ़ा रही हैं, वहीं तहसीलदार और पटवारियों, उच्च अधिकारियों पर गाज गिरने का कारण बन रही हैं।
नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन सहित राजस्व के विभिन्न मामलों के निराकरण को लेकर सरकार अब तक तीन बार महाअभियान छेड़ चुकी है। महाअभियान के दौरान प्राप्त आंकड़ों के आधार पर न केवल तेजी से प्रकरणों की सुनवाई की गई, बल्कि सीएम हेल्पलाइन सहित प्रदेश स्तर पर ग्रेडिंग सुधारने में इंदौर सफल भी हुआ, लेकिन इस दौरान फार्मा रजिस्ट्री, ईकेवाईसी और अन्य दायित्व तहसीलदार और पटवारी द्वारा पूरे नहीं करने पर गाज भी गिरी है।
जहां कई अधिकारियों के मासिक वेतन की कटौती हुई, वहीं कारण बताओ नोटिस भी थमाए गए। उच्च अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार दिसंबर-जनवरी में चले राजस्व महाअभियान तृतीय चरण की तकनीकी खराबी अधिकारियों को बहुत महंगी पड़ी है। सर्वर पर काम नहीं होने से जहां वे परेशान होते रहे, वहीं उनका ट्रैक रिकार्ड भी बिगड़ा है। सरकार अब तकनीकी खराबियों में सुधार करने के बजाय एक और नया अभियान शुरू करने जा रही है। बताया जाता है कि मार्च महीने में एक और नया अभियान शुरू होने जा रहा है। इस दौरान तहसीलदार और पटवारियों को राजस्व वसूली का टारगेट दिया जाता है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर अब आवेदनों के निराकरण के साथ वसूली का भी प्रेशर रहेगा। वहीं दूसरी ओर सर्वर की परेशानी फिर सामने आएगी। दबी जुबान में अधिकारियों ने कहा कि काम करवाना है तो पहले तकनीकी खामियों को दूर किया जाए। ज्ञात हो कि सर्वर भी कमजोर होने के कारण अधिकारियों को दिन-रात बैठकर काम करना पड़ रहा है। देर रात जागकर अधिकारी पोर्टल पर काम कर रहे हैं।
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