
इंदौर। एक तरफ गृह निर्माण (build house) संस्थाओं की जमीनें प्राधिकरण (Lands Authority) की योजनाओं में फंसी है, तो दूसरी तरफ पात्र-अपात्रों (eligible-ineligible) का विवाद भी कम नहीं है। देवी अहिल्या श्रमिक कामगार गृह निर्माण (Devi Ahilya Shramik Workers Home Construction) की अयोध्यापुरी में तो यह विवाद चल ही रहा है और प्रशासन ने पिछले दिनों दावे-आपत्तियां भी बुलवाई, तो इसी संस्था की दूसरी कॉलोनी श्री महालक्ष्मी नगर में भी रजिस्ट्रीधारकों से ज्यादा की संख्या रसीदधारकों की है। दो साल पहले ऑपरेशन भूमाफिया के दौरान प्रशासन ने श्री महालक्ष्मी नगर में भी कई पीड़ितों को भूखंडों के कब्जे दिलवाए थे।
अभी लगभग 225 रसीदधारी हाईकोर्ट की शरण में भी पहुंचे हैं। इन रसीदधारकों का कहना है कि बिना उनके नाम सूची में शामिल किए सदस्यता सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जाना चाहिए। हालांकि फिलहाल हाईकोर्ट ने कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए हैं। अलबत्ता 10 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई होगी। उल्लेखनीय है कि श्री महालक्ष्मी नगर की जमीन भी प्राधिकरण की योजना 171 में शामिल है, जिसमें एनओसी देने का मामला फिलहाल विचाराधीन है और अभी प्राधिकरण इस संबंध में बोर्ड संकल्प को शासन के पास भिजवा भी रहा है।
इस योजना में 13 गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें शामिल है, जिसमें देवी अहिल्या के अलावा न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण, इंदौर विकास गृह निर्माण, लक्ष्मण नगर, सूर्या गृह निर्माण, मारुति गृह निर्माण, सन्नी को-ऑपरेटिव, त्रिशला गृह निर्माण, संजना गृह निर्माण, श्री कृपा और अप्सरा गृह निर्माण की जमीनें शामिल है। श्री महालक्ष्मी नगर भूखंड पीड़ित समिति द्वारा भी पिछले कई दिनों से पात्र सदस्यों को भूखंडों का कब्जा दिलवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें कुछ रजिस्ट्रीधारकों को प्रशासन ने कब्जे दिलाए थे। वहीं कई लोगों के पास रसीदें हैं। वहीं सहकारिता विभाग ने भी जो प्रभारी नियुक्त किए उन्होंने भी कई रजिस्ट्रियां कर डाली। कई सदस्यों का यह भी आरोप है कि प्राधिकरण ने भी उनकी जमीन पर कब्जा कर रखा है।
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