नई दिल्ली। मलेशिया के टेरेंगानु राज्य (Lasia Terengganu State) में जुमे की नमाज न पढ़ने वाले मुस्लिम पुरुषों को दो साल तक की जेल हो सकती है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (South China Morning Post) की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने शरिया कानून (Sharia law) को सख्ती से लागू करने की चेतावनी दी है। बिना किसी उचित कारण के शुक्रवार की नमाज छोड़ने पर दो साल की कैद की सजा हो सकती है।
जुमे की नमाज न पढ़ने पर सजा
रिपोर्ट के मुताबिक, टेरेंगानु में पैन-मलेशियाई इस्लामिक पार्टी (पीएएस) की सरकार है। इसने घोषणा की कि पहली बार जुमे की नमाज न पढ़ने वाला व्यक्ति 3,000 रिंगिट (लगभग 710 अमेरिकी डॉलर) तक के जुर्माने, जेल की सजा, या दोनों का सामना कर सकता है। यह सजा तब लागू होगी, जब कोई बिना वैध कारण के नमाज में शामिल न हो।
राज्य की कार्यकारी परिषद के सदस्य मुहम्मद खलील अब्दुल हादी ने बेरिटा हरियन अखबार को बताया कि शुक्रवार की नमाज न केवल एक धार्मिक प्रतीक है, बल्कि मुसलमानों के लिए आज्ञाकारिता का प्रतीक भी है। पहले, केवल वे लोग जो लगातार तीन शुक्रवार को नमाज छोड़ते थे, उन्हें सजा दी जाती थी।
मलेशियाई वकील अजीरा अजीज ने तर्क दिया कि यह कुरान के सिद्धांत ‘धर्म में कोई ज़बरदस्ती नहीं’ के खिलाफ है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि जुमे की नमाज अनिवार्य है, लेकिन इसे अपराध बनाना जरूरी नहीं। जागरूकता कार्यक्रम ही पर्याप्त हैं।
हम तालिबान बन जाएंगे
एससीएमपी के अनुसार, अहमद अजहर ने कहा कि हमें सभी मलेशियाई लोगों की चिंताओं को आवाज़ देनी होगी, वरना हम तालिबान बन जाएंगे। कुछ लोगों का मानना है कि कानूनी दबाव सच्ची धार्मिकता को कमजोर करता है। एक आलोचक ने कहा कि धार्मिकता दिल से आनी चाहिए, डर से नहीं। वहीं, केनी टैन ने लिखा कि मुसलमानों को यह मामला संभालने दें। हमें अनावश्यक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
टेरेंगानु में कोई विपक्ष नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, टेरेंगानु की 12 लाख की आबादी में अधिकतर मलय मुस्लिम हैं। यह मलेशिया का एकमात्र राज्य है, जहां विधानसभा में कोई विपक्ष नहीं है। 2022 के चुनाव में पीएएस ने सभी 32 सीटें जीतीं। उल्लेखनीय है कि इस्लाम मलेशिया का आधिकारिक धर्म है, लेकिन देश का समाज धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर आधारित है।
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