
इंदौर। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पासपोर्ट बनवाने के लिए विदेश जाने की अनिवार्यता की आवश्यकता नहीं है। यदि किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई आपराधिक प्रकरण लंबित है और वह पासपोर्ट बनवाना चाहता है तो उसका पासपोर्ट बनाया जा सकता है। इसके लिए विदेश जाने की अनुमति आवश्यक नहीं है। यह अनिवार्यता तब है, जब उसे वाकई में देश से बाहर जाना हो। इंदौर निवासी चतर सिंह के विरूद्ध पुलिस ने वर्ष 2015 में विभिन्न धाराओं में एक प्रकरण दर्ज किया था, जो पिछले 10 साल से लंबित है।
इसी बीच उन्होंने कोर्ट में पासपोर्ट बनवाने की अनुमति देने के लिए आवेदन दिया, जिस पर कोर्ट ने कुछ शर्तों के अधीन अनुमति जारी कर दी। कोर्ट से अनुमति होने के बावजूद क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, भोपाल ने उसका पासपोर्ट आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसे कोर्ट से देश से बाहर जाने की अनुमति भी लानी होगी। इस पर जब कोर्ट में फिर से इस बाबद आवेदन लगाया गया, तो कोर्ट ने उस आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि पूर्व में दी गई शर्तों में अब कोई फेरबदल नहीं होगा। इस पर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विस्मित पानोत ने बताया कि जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने फैसले में कहा कि पासपोर्ट कार्यालय द्वारा लगाई गई शर्त गलत है। पासपोर्ट बनवाने की अनुमति देना और देश से बाहर जाने की अनुमति देना दोनों अलग-अलग चीजें हैं। मात्र पासपोर्ट बनवाने के लिए देश से बाहर जाने की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। उच्च न्यायालय ने पासपोर्ट कार्यालय को याचिकाकर्ता के पासपोर्ट बनाने के आवेदन पर बिना देश से बाहर जाने की अनुमति के चार सप्ताह में निराकारण के निर्देश दिए।
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