
चंडीगढ़। पंजाब (Punjab) में बाढ़ का पानी कम होने लगा है, लेकिन इससे प्रभावित लोगों की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग (State Health Department) ने पहले ही रोग प्रकोप (Disease outbreak) के बढ़ते खतरे को लेकर चेतावनी जारी कर दी है। अधिकारियों ने कहा कि त्वचा रोग, जलजनित और खाद्यजनित बीमारियों (Waterborne and Foodborne Diseases.) जैसे डेंगू, हैजा, टाइफाइड, दस्त और हेपेटाइटिस ए व ई के फैलने का खतरा है। स्वच्छ पेयजल की कमी, असुरक्षित भोजन, लंबे समय तक ठहरे हुए बाढ़ के पानी के संपर्क में रहना और स्वच्छता सुविधाओं की कमी जैसी समस्याएं हैं। इससे रोगों के तेजी से फैसले के जोखिम बढ़ जाते हैं। चेतावनी में कहा गया कि सामान्य जल स्रोत अब सुरक्षित नहीं हैं।
राज्य में भीषण बाढ़ के कारण दो और लोगों की मौत होने से मरने वालों की संख्या 48 तक पहुंच गई है, जबकि 1.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें बर्बाद हो गई हैं। शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने कहा कि राज्य में सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय 8 सितंबर से खुलेंगे। बाढ़ की वजह से बीते दिनों शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए गए थे। मंत्री ने कहा कि जिन स्कूलों या कॉलेजों को बाढ़ से नुकसान पहुंचा है, उनको बंद रखने पर निर्णय संबंधित उपायुक्त लेंगे। सरकारी स्कूलों में कक्षाएं 9 सितंबर से शुरू होंगी। अधिकारियों ने बताया कि पोंग बांध का जलस्तर करीब दो फुट घटकर 1,392.20 फुट दर्ज किया गया। हालांकि, यह अब भी उसकी अधिकतम सीमा 1390 फुट से दो फुट अधिक है। शनिवार को यह जलस्तर 1394.19 फुट था।
5400 से अधिक लोगों को शरण
सूत्रों ने बताया कि सतलुज नदी पर बने भाखड़ा बांध का जलस्तर रविवार को 1677.98 फुट दर्ज किया गया, जबकि शनिवार को यह 1678.14 फुट था। बांध में पानी का प्रवाह 66891 क्यूसेक और निकासी 70000 क्यूसेक रही। राज्य सरकार ने 219 राहत शिविर स्थापित किए हैं, जिनमें 5400 से अधिक लोगों को शरण दी गई है। मुख्य सचिव ने बताया कि अब तक 48 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि पठानकोट जिले में तीन लोग अब भी लापता हैं। पंजाब इस समय कई दशकों में आई सबसे भीषण बाढ़ आपदा का सामना कर रहा है। यह बाढ़ सतलुज, ब्यास व रावी नदियों में आए उफान और हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर में भारी वर्षा के कारण आई है। इसके अलावा, पंजाब में हाल की बारिश ने हालात को और बिगाड़ दिया है।
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