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‘द सूत्र’ का एक ही सूत्र है हम सिर्फ भगवान से डरते हैं

August 30, 2022

हम सिर्फ भगवान से डरते हैंÓ। माशा अल्लाह…क्या जानदार टैग लाइन है साब। ये बी सच है भाई मियां के भगवान से डरने वालों को भगवान कबी तन्हा नईं छोड़ता। यां जि़क्रेखैर हो रिया हेगा न्यूज़ पोर्टेल और एप ‘द सूत्रÓ का। चंद रोज़ पेलेई डिजीटल मीडिया में ‘द सूत्रÓ को एक बरस पूरा हुआ। सहाफत (पत्रकारिता) के माहिर उस्ताज और इस पेशे की रग-रग से वाकिफ दो दोस्तों ने ‘द सूत्रÓ की इब्तिदा इस बिना पे करी थी के झां हरकुच टाइप की सनसनी और फ़ालतू की कांव-कांव किलकिल और गदर नई होएगा। अखबारों, न्यूज़ पोर्टलों, न्यूज़ चैनलों की भेड़चाल से अलहदा हेगा इनका स्टाइल और फलसफा। ‘द सूत्रÓ को ये ऑफबीट रंगत दी है आनंद पांडे और हरीश दिवेकर ने। ये दोनोई सूबे के भन्नाट, असली और क़ाबिल सहाफियों में शुमार हैं। खास बात ये हेगी साब के इन दोनों ने ‘द सूत्रÓ इस लिए नईं शुरु करा के इनके कने कोई काम-वाम नईं था। मल्लब… लोग कर लेते हैं ना आजकल… के चलो साब जब तलक कोई फिलिम नई चल्लई तब तलक कोई पोर्टल-मोर्टल ही डाल लेते हैं। इसके बरक्स ‘द सूत्रÓ चालू कन्ने का आइडिया इनके दिमाग मे तब आया जब आंनद पांडे साब इंडिया टीवी में रजत शर्मा के बाद सेकिंड नंबर पे थे। भईं हरीश भाई ज़ी-न्यूज़ में एमपी/सीजी के हेड थे। इने दिल्ली में चेनेल की एडिटरी का बी चांस था। गोया के उम्दा फिलिम चलल्लई थी दोनो की। मसला ये के टॉप पे रेते हुए इंन्ने ‘द सूत्रÓ शुरु करने का दांव खेला। ‘द सूत्रÓ का सबसे अहम उसूल ये है कि ये कोई सरकारी विज्ञापन या सरकारी सहूलत मंज़ूर नहीं करते। पांडेजी और दिवेकर साब के मुताबिक हम न खुद डरते हैं न किसी को डराते हैं। हमारी लाइन एन्टी गवर्नमेंट न हो कर प्रो-पब्लिक है।


हम हर कदम मिल्लत के साथ खड़े हैं। हमारे यहां ख़बरों के खुलासे होते हैं। यहां मालिक-नोकर वाला कल्चर नहीं है। ये सहाफियों का संस्थान है। प्राइवेट विज्ञापनों और क्राउड फंडिंग पे ‘द सूत्रÓ का दारोमदार टिका है। आनंद पांडे यहां एडिटर-इन-चीफ हैं और हरीश दिवेकर मैनेजिंग एडिटर हैं। सीनियर सहाफी सुनील शुक्ला यहां इनपुट एडिटर हैं। जबकि विजय मांडगे आऊटपुट हेड हैं। यहां तजुर्बेकार सहाफी प्रवीण शर्मा, अरुण तिवारी, अतुल तिवारी भी हैं। सूबे के नामी सहाफी देव श्रीमाली ग्वालियर-चम्बल, जयराम शुक्ला विन्ध्य और राजीव उपाध्याय महाकोशल कवर करते हैं। हरीश भाई बताते हैं कि फ़ायदा कमाना हमारा मक़सद नहीं है। हम चेनल के खर्चे और स्टाफ़ की तनख्वाह भर निकालना चाहते हैं। अपनी खबरों और अनूठी पेशकश के चलते ‘द सूत्रÓकी फ़ेसबुक रीच 40 लाख तक पहुंच गई है। यूट्यूब पे इनके 7.5 लाख व्यूअर हैं। वहीं एक लाख से ज़्यादा इनके डेली एक्टिव यूजर हैं। ‘द सूत्रÓ एमपी का वाहिद ऐसा डिजिटल मीडिया हेगा झां पे वीडियो टीवी चैनलों की तरा चलते हैं। यहां बाकायदा पीसीआर रूम और 2 स्टूडियो हैं। पोर्टल में 65 लोगों का स्टाफ़ है। आनंद पांडे का सूत्रधार और हरीश दिवेकर का न्यूज़ स्ट्राइक पिरोगराम भोत मक़बूल हो चुका है। इसके अलावा साहित्य सूत्र, सीएम हेल्पलाइन, और टी- टॉक जैसे शो भी अपनी आप मिसाल हैं। तमाम किफ़ायतशारी के साथ ‘द सूत्रÓ का छतीसगढ़ आफिस शुरु हो गया है। आने वाले साल में ये लोग यूपी, राजस्थान और बिहार में भी द सूत्र की इब्तिदा करने जा रहे हैं। भोत मुबारक हो साब आपको और आपकी पूरी टीम को।

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