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पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच नहीं हुआ कोई फोन कॉल…संसद में विदेश मंत्री ने किया बड़ा खुलासा

July 28, 2025

नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र (monsoon session of parliament) का छठा दिन ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) पर चर्चा के लिए समर्पित था। इस चर्चा की शुरुआत राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने की इसके बाद पक्ष और विपक्ष के कई नेताओं ने अपनी बातें रखीं। विपक्षी नेताओं ने ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर को लेकर कई सवाल भी खड़े किए। इनका जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि 22 अपैल से 17 जून के बीच पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच फोन पर कोई बातचीत नहीं हुई।

विदेश मंत्री की बात सुनने के बाद विपक्ष के नेता हंगामा करने लगे। ऐसे में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि विदेश मंत्री जिन्होंने निष्ठा की शपथ ली है। वह कुछ कह रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के नेताओं को उन पर भरोसा नहीं है। इसी वजह से ये लोग अगले 20 साल तक वहीं बैठे रहेंगे, जहां वह अभी हैं।


भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकाने तबाह किए थे। इस दौरान किसी भी आम नागरिक या सैन्य ठिकाने को नुकसान नहीं हुआ था। हालांकि, पाकिस्तान सेना ने जवाब में भारत पर मिसाइल और ड्रोन से हमले किए। भारत ने इन हमलों को नाकाम करते हुए पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद दोनों देशों के बीच सीजफायर हो गया। हालांकि, इससे पहले भारत ने पाकिस्तानी वायुसेना के 11 ठिकानों को निशाना बनाया था और कम से कम 20 फीसदी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था। पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन किया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच सीजफायर हुआ।

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की जानकारी सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ही दी थी। उन्होंने दोनों देशों के बीच युद्ध रुकवाने का दावा भी किया था। इसके बाद भी वह लगातार दोनों देशों के बीच युद्ध रुकवाने का दावा करते रहे हैं। हालांकि, भारत सरकार साफ कर चुकी है कि दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत के बाद ही सीजफायर हुआ था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “हमारी कूटनीति का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद था। हमारे लिए चुनौती यह थी कि इस विशेष समय में, पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य है। सुरक्षा परिषद में हमारे दो लक्ष्य थे। पहला सुरक्षा परिषद से जवाबदेही की आवश्यकता का समर्थन प्राप्त करना और दूसरा इस हमले को अंजाम देने वालों को न्याय के कटघरे में लाना।

मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि यदि आप 25 अप्रैल के सुरक्षा परिषद के बयान को देखें, तो सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इस आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। और सबसे महत्वपूर्ण बात, परिषद ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया।”

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