
इंदौर। 2011 की जनगणना के आधार पर इंदौर जिले में लगभग 2100 किन्नर बताए गए थे, लेकिन वर्तमान में सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार 275 किन्नर ही निवास करते हैं, लेकिन इन्होंने भी कभी खुद के प्रमाण पत्र और पहचान पत्र बनाने के लिए रुचि नहीं दिखाई है। कई बार जागरूकता फैलाने जाने के बावजूद भी आधार कार्ड, वोटर आईडी और पहचान पत्र के लिए किन्नरों ने साफ इनकार किया है। सामाजिक न्याय विभाग को शासन से मिले निर्देश के बाद सिर्फ 125 ट्रांसजेंडर व किन्नरों की पहचान हो पाई थी।
बुधवार देर रात किन्नरों के आतंक, विवाद और आत्महत्या, आत्मदाह की कोशिश के बाद एक बार फिर असली-नकली का विवाद सामने आया है, जिसे लेकर पुलिस प्रशासन ने असली की पहचान कर उनके आइडेंटी कार्ड बनाने का आश्वासन दिया है, लेकिन सामाजिक न्याय विभाग से मिली जानकारी के अनुसार लंबे समय से किन्नर संप्रदाय और डेरों के निवासियों से पहचान पत्र बनाने के लिए गुजारिश की जा चुकी है, लेकिन यह समुदाय ही अपनी पहचान जाहिर नहीं करना चाहता और पहचान पत्र बनाने से साफ इनकार करता रहा है। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान भी वोटर आईडी कार्ड बनाने के लिए मुहिम छेड़ी गई थी, लेकिन डेरों के निवासियों द्वारा कोई रुचि नहीं दिखाई गई। नेग मांगकर लाखों कमाने का हवाला देकर पहचान पत्र ठुकराते रहे हैं। ज्ञात हो कि पूर्व कलेक्टर इलैया राजा के समय भी इन्हें विवाद सुलझाने के साथ-साथ पहचान पत्र बनाने के लिए समय दिया गया था, लेकिन बात नहीं बनी। द्य इंदौर।
2011 की जनगणना के आधार पर इंदौर जिले में लगभग 2100 किन्नर बताए गए थे, लेकिन वर्तमान में सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार 275 किन्नर ही निवास करते हैं, लेकिन इन्होंने भी कभी खुद के प्रमाण पत्र और पहचान पत्र बनाने के लिए रुचि नहीं दिखाई है। कई बार जागरूकता फैलाने जाने के बावजूद भी आधार कार्ड, वोटर आईडी और पहचान पत्र के लिए किन्नरों ने साफ इनकार किया है। सामाजिक न्याय विभाग को शासन से मिले निर्देश के बाद सिर्फ 125 ट्रांसजेंडर व किन्नरों की पहचान हो पाई थी।
बुधवार देर रात किन्नरों के आतंक, विवाद और आत्महत्या, आत्मदाह की कोशिश के बाद एक बार फिर असली-नकली का विवाद सामने आया है, जिसे लेकर पुलिस प्रशासन ने असली की पहचान कर उनके आइडेंटी कार्ड बनाने का आश्वासन दिया है, लेकिन सामाजिक न्याय विभाग से मिली जानकारी के अनुसार लंबे समय से किन्नर संप्रदाय और डेरों के निवासियों से पहचान पत्र बनाने के लिए गुजारिश की जा चुकी है, लेकिन यह समुदाय ही अपनी पहचान जाहिर नहीं करना चाहता और पहचान पत्र बनाने से साफ इनकार करता रहा है। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान भी वोटर आईडी कार्ड बनाने के लिए मुहिम छेड़ी गई थी, लेकिन डेरों के निवासियों द्वारा कोई रुचि नहीं दिखाई गई। नेग मांगकर लाखों कमाने का हवाला देकर पहचान पत्र ठुकराते रहे हैं। ज्ञात हो कि पूर्व कलेक्टर इलैया राजा के समय भी इन्हें विवाद सुलझाने के साथ-साथ पहचान पत्र बनाने के लिए समय दिया गया था, लेकिन बात नहीं बनी।
बीपीएल कार्ड और राशन की सुविधा
भरण पोषण के लिए सरकार द्वारा उन्हें बीपीएल कार्ड जारी करने और राशन देने का प्रावधान भी कर रखा है, लेकिन सरकार से मदद लेना इस समुदाय को नागवार है। हालांकि लगभग 100 से अधिक ट्रांसजेंडर जो पढ़ाई और नौकरी कर रहे हैं, उन्होंने जीवनयापन के लिए राशन की सुविधा ले रखी है। भारत सरकार ट्रांसजेंडर समुदाय को कानूनी पहचान, गरिमा गृह के तहत आवास, शिक्षा में छात्रवृत्ति, स्वास्थ्य बीमा रोजगार व कौशल प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं देती है। ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम, 2019 से उन्हें अधिकार मिले हैं। पहचान पत्र के बाद पेंशन, राशन, शिक्षा, नौकरी और मेडिकल सहायता का लाभ मिल सकता है। कई राज्यों में आरक्षण, मकान और सर्जरी में मदद दी जाती है। वरिष्ठ नागरिक ट्रांसजेंडर को वृद्धावस्था पेंशन दी जाती है।
ट्रांसजेंडर छात्रों को शिक्षा का अधिकार
कई राज्यों में मुफ्त शिक्षा, यूनिफॉर्म, किताबें और स्कॉलरशिप की सुविधा दी जाती है। उच्च शिक्षा के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें विशेष छात्रवृत्ति भी देती हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत ट्रांसजेंडर लोग भी 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करवा सकते हैं। सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी और हार्मोन थैरेपी में सहायता के लिए विशेष अस्पताल और सरकारी योजनाएं हैं। सरकारी नौकरियों में ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता दी गई है। कई राज्यों में आरक्षण की सुविधा दी जा रही है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved