
नई दिल्ली: भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच एक बड़ा व्यापार समझौता होने जा रहा है. इसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (free trade agreement) यानी एफटीए कहा जा रहा है. इस डील से दोनों पक्षों को काफी फायदा होगा. खास बात ये है कि जब अमेरिका भारत पर ज़्यादा टैक्स लगाने की धमकी दे रहा है, ऐसे वक्त में ये डील भारत के लिए बहुत अहम मानी जा रही है. 8 सितंबर से इस समझौते को लेकर बातचीत का नया दौर शुरू हो गया है. दोनों देशों की कोशिश है कि साल के आखिर तक इस पर मुहर लग जाए. ये डील अगर होती है तो इसका असर अमेरिका तक भी जरूर पहुंचेगा, जो पहले से ही भारत की नीतियों से नाराज़ चल रहा है.
अमेरिका चाहता है कि यूरोपीय देश भी भारत से आने वाले सामान पर ज़्यादा टैक्स लगाएं. लेकिन भारत ने इसका जवाब ईयू से दोस्ती बढ़ाकर दिया है. फ्री ट्रेड डील से भारत और ईयू एक-दूसरे के बाजारों के लिए रास्ता खोलेंगे. यानी एक-दूसरे के देश में सामान बेचना और खरीदना पहले से आसान हो जाएगा. ये डील ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका ने कई भारतीय चीज़ों पर भारी टैक्स लगा दिया है. खासकर मछली और झींगा जैसे समुद्री उत्पादों पर. पिछले साल भारत ने अमेरिका को करीब 2.8 अरब डॉलर के झींगे बेचे थे. अब अमेरिका की सख्ती के बाद भारत नए बाजार की तलाश में है और ईयू एक बेहतर विकल्प बन सकता है.
अब तक भारत और ईयू के बीच 23 में से 11 मुद्दों पर सहमति बन चुकी है. इनमें बौद्धिक संपदा (आईपी), कस्टम के नियम, व्यापार में पारदर्शिता, छोटे कारोबार, डिजिटल व्यापार, सब्सिडी और विवाद सुलझाने के तरीके जैसे विषय शामिल हैं. अब बाकी मुद्दों पर भी बातचीत चल रही है. इसमें सबसे अहम है—बाजार में पहुंच, तकनीकी अड़चनों को हटाना, सरकारी खरीद और स्वास्थ्य से जुड़े मानक. इसके अलावा, दोनों पक्ष एक-दूसरे को सेवा और निवेश से जुड़े प्रस्ताव भी दे चुके हैं.
भारत ने साफ कर दिया है कि वह कुछ जरूरी चीजों को इस डील से बाहर रखना चाहता है. खासकर चावल, चीनी और दूध से जुड़े उत्पाद. सरकार का मानना है कि इन सेक्टरों को विदेशी कंपनियों के लिए नहीं खोला जाना चाहिए. वहीं यूरोपीय संघ चाहता है कि उसे भारत में गाड़ियों और शराब के बाजार तक बेहतर पहुंच मिले. इसके साथ ही वह मछली और समुद्री उत्पादों का ज्यादा निर्यात भारत को करना चाहता है.
13वां दौर दिल्ली में चल रहा है, उसके बाद अगला दौर अक्टूबर में ब्रुसेल्स में होगा. इस दौरान दोनों देश 2026 में होने वाले भारत-ईयू शिखर सम्मेलन की तैयारी भी करेंगे. ईयू की ओर से उनके व्यापार और कृषि मामलों के बड़े अधिकारी भारत आ रहे हैं. वे भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करेंगे ताकि डील पर तेजी से काम हो सके. इस बीच यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कल्लास भी एक नई रणनीति पेश करने वाली हैं, जो भारत के साथ संबंधों को लेकर होगी. उम्मीद है कि इसे साल के अंत तक मंजूरी मिल जाएगी और फिर 2026 के सम्मेलन में इसका ऐलान होगा.
अगर यह डील होती है तो भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार और निवेश पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा. भारतीय कंपनियों को यूरोप में बड़ा बाजार मिलेगा और यूरोपीय कंपनियों को भारत में. यह डील एक तरह से अमेरिका को भी सीधा संदेश देगी कि भारत अब सिर्फ एक बाजार नहीं है, बल्कि वह दुनिया में अपनी शर्तों पर व्यापार कर सकता है.
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