
भोपाल। प्रदेश में शिक्षकों की कमी की वजह से कई स्कूल शिक्षक विहीन हो गए हैं या फिर एक शिक्षक के भरोसे हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति ज्यादा खराब है। स्कूल शिक्षा विभाग ने नई तबादला नीति जारी कर दी है। ज्यादातर शिक्षक दूर-दराज के गांवों से निकलकर शहरों के आसपास या फिर शहरों में आना चाहते हैं। शहरों में स्कूल मिलने से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र में स्कूल मिलना ज्यादा आसान है। मजबूत सिफारिश होने पर ही शहरी क्षेत्र में शिक्षक की पोस्टिंग हो पाएगी।
नई नीति के तहत अब मप्र में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को गांव में दस साल पढ़ाना अनिवार्य होगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में खाली 70 प्रतिशत पद भर जाएंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार होगा। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी नवीन स्थानांतरण नीति में उल्लेखित किया गया है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भी पढ़ाना होगा। इससे दो साल पहले आनलाइन स्वैच्छिक स्थानांतरण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से शिक्षक शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में ट्रांसफर कराकर आ गए।
शहरों में जबरन गांव भेजे जाएंगे शिक्षक
अब शहरी क्षेत्रों में अतिशेष शिक्षकों की संख्या बढ़ गई, लेकिन अब शिक्षकों का स्थानांतरण स्वैच्छिक नहीं होगा, बल्कि अब परफार्मेंस के आधार पर किया जाएगा। इसके अलावा नई नीति में स्पष्ट किया गया है कि एक शिक्षक को अपने पूरे सेवाकाल में गांव के स्कूलों में दस साल पढ़ाना होगा। वहीं, नवनियुक्त शिक्षकों को तीन साल तक गांव के स्कूलों में रहना होगा। इसका वचन-पत्र लगेगा।
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