
इंदौर। नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस पार्षद चिंटू चौकसे ने महापौर के दावों को खारिज करते हुए आरोप लगाए कि एक तरफ जनता पर मनमाने तरीके से टैक्स थोप डाला तो दूसरी तरफ नगर निगम में नित नए भ्रष्टाचार के मामले भी उजागर होते रहे हैं। शहर की जनता भीषण जाम, गंदे पानी, गड्ढों के साथ-साथ अन्य समस्याओं से ग्रसित है और 100 करोड़ रुपए से अधिक के फर्जी बिल महाघोटाले को भी दफन कर डाला और असल दोषियों को बचा लिया। गड़बडिय़ों के मामलों में भी भाजपा परिषद् के ये तीन साल बेमिसाल रहे हैं।
चौकसे के मुताबिक, महापौर ने होर्डिंग और पोस्टर के मामले में भी जीरो टॉलरेंस के दावे किए थे, जबकि खुद महापौर के भी पोस्टर लगे नजर आते हैं। चमचमाती सडक़ों की बजाय जनता गड्ढों में कूदने को तैयार है और शहर का मीडिया ही रोज इसकी पोलपट्टी खोलता है। गंदे पानी की समस्या भी यथावत बनी हुई है और शहर की कई कॉलोनियों-मोहल्लों में ड्रैनेज का मिक्स पानी नर्मदा का बंट रहा है। जनता को धोखा देते हुए पिछले दरवाजे से 10-20 नहीं, बल्कि 65 फीसदी तक सम्पत्ति और जल कर में टैक्स बढ़ोतरी कर दी गई। भवन अनुज्ञा शाखा में होने वाले भ्रष्टाचार की शिकायतें तो खुद महापौर परिषद् के सदस्य ही कर रहे हैं। यानी महापौर का इन इंजीनियरों पर भी कोई नियंत्रण नहीं है।
अभी पिछले दिनों ही भमोरी प्लाजा से गिरधर महल के बीच सडक़ की चौड़ाई घटाकर मंजूर किए गए 7 नक्शों का मामला उजागर हुआ। शहरभर में इस तरह अवैध निर्माण, अतिक्रमण लगातार बढ़े हैं। हॉकर्स झोन की सुविधा भी निगम नहीं दे पाया, तो 29 गांवों सहित शहर के कई लोगों को टैंकरों का पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है। गांधी हॉल जीर्णोद्धार का दावा भी हवा-हवाई साबित हुआ और करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद फिर गांधी हॉल बदहाल हो गया है। इसी तरह सराफा चौपाटी को भी शिफ्ट करने के भी बढ़-चढक़र दावे महापौर ने किए और इसके लिए कमेटी तक गठित की। मगर उस पर भी कोई निर्णय नहीं हुआ और बीच शहर में खतरे की घंटी बन चुकी यह सराफा चौपाटी संचालित की जा रही है। जबकि क्षेत्र के व्यापारी और रहवासी भी इस पर कई मर्तबा चिंता जाहिर कर चुके हैं, क्योंकि सैकड़ों की संख्या में गैस सिलेंडरों का इस्तेमाल होता है। नगर निगम की आमदनी अभी भी कम है और खर्चा उससे ज्यादा। यही कारण है कि बार-बार टेंडर बुलाने के बावजूद ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं है।
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