
नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने संभाग स्तरीय बस्तर ओलिंपिक (Bastar Olympics) के समापन समारोह में शामिल हुए. जहां उन्होंने नक्सलवाद को लेकर कहा कि देश 31 मार्च 2026 तक पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो जाएगा. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि बस्तर के लोगों को घर-घर बिजली और हर घर नल से जल मिलेगा. शाह ने कहा कि बस्तर की आदिवासी संस्कृति विश्व की सबसे खूबसूरत पहचान है और इसके संरक्षण के साथ विकास सरकार की प्राथमिकता है. इस मौके पर हजारों खिलाड़ी और स्थानीय लोग मौजूद रहे. आयोजन ने एकता और भरोसे का संदेश दिया.
वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अगले पांच वर्षों में बस्तर को देश का सबसे विकसित आदिवासी संभाग के रुप में विकसित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नक्सलवाद इस क्षेत्र के विकास पर नाग बनकर बैठा था, जिससे बस्तर पिछड़ा रहा. अब सरकार ने निर्णायक लड़ाई लड़ी है. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए पुनर्वास और रोजगार योजनाएं लागू होंगी. विकास की राह में बाधा डालने वालों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा, ताकि शांति स्थायी हो सके और विश्वास लौटे. यही लक्ष्य सरकार ने तय किया है.
उनका कहना है कि आने वाले समय में बस्तर के हर व्यक्ति के घर तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचेंगी. 5 किलोमीटर के दायरे में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध होगी. वन उपज के प्रसंस्करण के लिए यूनिट लगाए जाएंगे. दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए डेयरी नेटवर्क मजबूत होगा. नए उद्योग, अस्पताल और शिक्षा संस्थान खुलेंगे. इससे रोजगार बढ़ेगा और पलायन रुकेगा. कार्यक्रम के दौरान हर घर रोशन परियोजना का शुभारंभ भी किया गया, जिससे दूरस्थ गांवों में उम्मीद जगी. विकास का खाका स्पष्ट नजर आया.
इसके अलावा, गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलियों से अपील की है कि हथियार छोड़ कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ें. उन्होंने कहा कि शांति से ही समृद्धि का रास्ता निकलता है. शाह ने घोषणा की कि 2030 दिसंबर तक बस्तर संभाग के सभी सात जिले देश के सबसे विकसित आदिवासी जिले बनेंगे. खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार विशेष व्यवस्था कर रही है, ताकि बस्तर के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचें. यह संदेश आशा और आत्मविश्वास से भरा रहा, जिसने लोगों को प्रेरित किया.
वहीं सीएम विष्णुदेव साय ने मंच ने भी मंच से संबोधित करते हुए कहा कि नक्सलवाद अब अंतिम सांस ले रहा है. उन्होंने कहा कि जहां कभी गोलियों की आवाज गूंजती थी, वहां आज स्कूल की घंटियां बज रही हैं. सुरक्षा कैंप खुल रहे हैं और योजनाओं का लाभ गांव तक पहुंच रहा है. इस वर्ष बस्तर ओलिंपिक में तीन लाख इक्यानबे हजार प्रतिभागियों की भागीदारी ने क्षेत्र की प्रतिभा को राष्ट्रीय पहचान दिलाई. मुख्यमंत्री ने इसे शांति और प्रगति का प्रतीक बताया, जो आज नए बस्तर की तस्वीर पेश करता है.
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