
डेस्क: केरल (Kerala) लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis) एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री (Union Health Minister) जेपी नड्डा (JP Nadda) ने शुक्रवार को लोकसभा (Lok Sabha) को बताया कि इस साल 1 जनवरी से 5 दिसंबर के बीच केरल में लेप्टोस्पायरोसिस के 3259 कन्फर्म मामले और इससे जुड़ी 209 मौतें हुई हैं. नड्डा के मुताबिक 14 जिलों में तिरुवनंतपुरम में सबसे ज़्यादा 583 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद एर्नाकुलम में 492 और त्रिशूर में 340 मामले सामने आए.
नड्डा ने कहा कि चूंकि पब्लिक हेल्थ राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए निगरानी, रिपोर्टिंग और बीमारी पर प्रतिक्रिया मुख्य रूप से राज्य की ज़िम्मेदारी है. नड्डा ने कहा, “केरल सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक 1 जनवरी 2025 से 5 दिसंबर 2025 तक लेप्टोस्पायरोसिस के 3259 कन्फर्म मामले और 209 मौतें दर्ज की गई हैं.
लेप्टोस्पायरोसिस, जिसे रैट फीवर भी कहा जाता है और जो लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया से होने वाला इन्फेक्शन है. केरल में यह बीमारी आम है और अक्सर इसे मानसून के मौसम से जोड़ा जाता है. स्वास्थ्य मंत्रालय, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के जरिए, 12 स्थानिक राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों गुजरात, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, असम, गोवा, पंजाब, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के केंद्र शासित प्रदेशों में लेप्टोस्पायरोसिस की रोकथाम और नियंत्रण के लिए कार्यक्रम (PPCL) लागू कर रहा है.
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