
इंदौर, सुनील नावरे। वैसे तो इंदौर नगर निगम के कोई भी काम बिना खामियों वाले नहीं होते हैं, लेकिन कभी कुछ काम इतने बेहतर होते हैं कि उनकी चर्चा होती है । यायावर लोगों से लेकर अन्य शहरों से आए गरीब तबके के लोगों को रात गुजारने के लिए कोई ठौर-ठिकाना नहीं मिलता है तो रैनबसेरे यानी कि आश्रय स्थल उनके लिए एक बडा सहारा हो जाते हैं । शहर में कुल 11 रैनबसेरे है और इनमें सबसे ज्यादा चर्चित हाल ही में संवारा गया रैनबसेरा किला मैदान का है, जहां तमाम सुविधाएं जुटाई गई हैं। सजाया और संवारा ऐसा गया है कि रैनबसेरे के मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश करते ही एक बार तो यह यकीन नहीं होगा कि यह मुफ्त में रुकने वाला रैनबसेरा है।

साफ-सुथरा बिस्तर, कम्बल, तकिए से लेकर नहाने के लिए गर्म पानी और पीने के लिए आर-ओ का ठंडा पानी, टीवी तक की व्यवस्था और साथ ही पढऩे के लिए कई अखबारों के साथ-साथ हिंदी की धार्मिक पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। शहर भर में किए गए निगम के वेस्ट से बेस्ट के प्रयोग यहां भी साफ तौर पर नजर आते हैं और एक बड़े से खुले बरामदे में आकर्षक पेंटिंग और मांडने के अलावा टायरों के ऊपर बनाई गई कुर्सियां खासी आकर्षक लग रही है। पुराने बड़े टायरों पर रंगीन रस्सियां बांधकर उन्हें बैठने लायक बना दिया गया, साथ ही पुरानी लकड़ी से वहां बड़ी टी-टेबलें बनाकर पूरे परिसर को सजा दिया और बड़े-बड़े वाहनों के यह सारे टायर निगम के वर्कशॉप विभाग से स्वच्छ भारत मिशन के तहत बुलवाए गए।
इतना ही नहीं परिसर में सीसीटीवी कैमरे के निगरानी के साथ-साथ महिला-पुरुषों के लिए अलग-अलग सुविधाघर और स्नान घर में गर्म पानी के हीटर तक लगे हैं। वहां 200 से ज्यादा लोग हर रात रोज ठहरते हैं और सभी के नाम पते रजिस्टर मे दर्ज करने के साथ कभी भी निगम अफसर वहां पहुंचकर लोगों से इसका फीडबैक भी लेते हैं। निगम कमिश्नर दिलीप कुमार यादव ने अपर आयुक्त नरेंद्र नाथ पांडे और उनकी टीम को इस रैनबसेरे को बेहतर बनाने के लिए कार्य पर लगाया था । शहरभर के रैनबसेरों मे सबसे ज्यादा बेहतर यह रैनबसेरा लोगों को भी खूब भा रहा है। निगम के अफसर कहते हैं कि रैनबसेरों में अब तक किए गए कार्यों का यह सबसे बेहतर पैटर्न रहा है और अब इसे अन्य स्थानों पर बनाए जाने वाले रैनबसेरों में मॉडल के तौर पर इसी आधार पर काम कराए जाएंगे।
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