ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

महिलाओं को एक पल भी नहीं छोड़ रहे पीपी
भले ही चम्बल के कुछ इलाकों में चुनी हुई महिलाओं के पति ही सभी बैठकों और कार्रवाई में भाग लेते हंै, वैसे ही इंदौरी पीपी भी कर रहे हैं। ये पार्षद पति एक पल भी अपनी पत्नियों को नहीं छोड़ रहे हैं या यूं कहें कि एक तरह से बीवी के पल्लू से ही बंध गए हैं। पिछले दिनों जब महापौर द्वारा सभी पार्षदों को ट्रेंचिंग ग्राउंड ले जाया गया तो वहां भी पार्षद पतियों ने पीछा नहीं छोड़ा। कई अतिउत्साही तो पार्षद पत्नी की जगह खुद बैठे, अब क्या करें। भाजपा बात महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की करती है, लेकिन उसके खुद के नेता ही नहीं चाहते कि उनके घर की महिलाएं आगे आएं। इसलिए महिला जनप्रतिनिधि न चाहते हुए भी अपने पतियों के पीछे चल रही हैं। पार्षदों के प्रशिक्षण वर्ग में वरिष्ठ नेता बाबूसिंह रघुवंशी ने कह दिया था कि महिलाओं को स्कूटी दिलवा देना और उन्हें आजादी से अपने फैसले लेने देना, लेकिन क्या हो रहा है ये हम और आप देख ही रहे हैं।



नांदेड़ में सत्तू और शुक्ला की जुगलबंदी
सोशल मीडिया पर सत्तू पटेल और संजय शुक्ला के फोटो वायरल हुए। ये फोटो नांदेड़ गुरुद्वारा साहिब के थे। ये फोटो बहुत कुछ कह रहे थे और कहने वालों ने तो अनुमान लगा लिया कि ये नई जुगलबंदी किस चीज की हो रही है। बाद में मालूम पड़ा कि दोनों ही किसी विशेष काम से वहां गए थे और साथ-साथ गुरुद्वारे में मत्था टेकने चले गए। शुक्ला और सत्तू दोनों ही सोशल मीडियाप्रेमी हैं और फोटो पोस्ट करने में देर नहीं करते। अब जिसको जो सोचना है सोचे, उससे इन्हें मतलब नहीं।
हलचल मची हुई है दीनदयाल भवन में
दीनदयाल भवन में इन दिनों अजीब-सी हलचल है। बार-बार भोपाल से खबरें लीक होती हैं कि यहां का नेतृत्व परिवर्तन किया जा रहा है और चर्चा चल पड़ती है। लेकिन अध्यक्ष सबको आश्वासन दे रहे हैं कि वे अपना कार्यकाल पूरा करेंगे, लेकिन अध्यक्ष से अंटस कर बैठे लोग उन्हें पहले ही रवाना करना चाहते हैं। वैसे गौरव का पूरा मन विधानसभा चुनाव लडऩे का है और उनका कहना है कि मैं अगर चाहूंगा तो ही पद से हटूंगा, नहीं तो पार्टी की सेवा कर ही रहा हूं।
हार्डिया कंपाउंड में बढ़ सकती है भीड़
एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद शुरू होने वाली है। चुनावी साल है और जिस तरह से चौहान फॉर्म में हैं, उससे अब मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा और हो सकता है कि पिछड़ा वर्ग को खुश करने के लिए इंदौर से विधायक महेंद्र हार्डिया को मंत्रिमंडल की सूची में शामिल किया जा सकता है, लेकिन अभी तो सब ठंडा पड़ा हुआ है। हार्डिया समर्थक खुश हैं और कोई बड़ी बात नहीं कि आने वाले दिनों में हार्डिया कंपाउंड में भीड़ बढ़ जाए। बाबा के समर्थकों ने तो विभाग को लेकर चर्चा भी शुरू कर दी है। बाबा को राज्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसके बाद इंदौर से तीन-तीन मंत्री हो जाएंगे, लेकिन उषा ठाकुर को महू लोकसभा के नाम पर छोड़ दिया जाए तो दो ही बचेंगे और यूं भी ठाकुर अभी इंदौर से ज्यादा समय बाहर ही दे रही हैं।



शेरा पर घेरा
कांग्रेस ने निर्दलीय विधायक सुरेंद्रसिंह शेरा पर डेरा डाल दिया है और उन्हें बुरहानपुर में भारत जोड़ो यात्रा की जवाबदारी दी गई है। कमलनाथ की ये रणनीति किस ओर इशारा कर रही है ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन विपक्ष और अपने ही पक्ष के लोग नाराज हैं। कमलनाथ ने उनकी भी यह कहकर खातिरी कर दी है कि शेरा परिवार कांग्रेस का पुराना परिवार रहा है और वे समय-समय पर कांग्रेस का साथ दे रहे हैं। यानी शेरा पर जो घेरा डाला गया है वो आगामी विधानसभा चुनाव की सोची-समझी रणनीति के तहत ही डाला गया है।
चैन नहीं जीतू को
जब से जीतू जिराती को गुजरात विधानसभा चुनाव में जवाबदार बनाकर भेजा है, तब से उन्हें चैन नहीं है। ऐसा नहीं है कि वे खुश नहीं हैं। खुश तो हैं, लेकिन अपनी राऊ विधानसभा में उन्हें जो परफॉर्मेंस देना है, उसमें वे नजर नहीं आ रहे हंै। चाहे कोई शुभारंभ कार्यक्रम हो या भूमिपूजन, उन्हें अपने प_ों को भेजकर खानापूर्ति करना पड़ती है। लेकिन इसका पूरा फायदा मधु वर्मा को मिलता नजर आ रहा है। राऊ विधानसभा से हारने के बावजूद उनकी पूछपरख बनी हुई है और चाहे कोई भी मौका हो वे उसे भुनाना नहीं छोड़ते। इसलिए शहर में कम, गांव में ज्यादा शहद टपकता रहता है।



खालसा स्टेडियम बन गया गले की हड्डी
खालसा स्टेडियम का मामला कांग्रेस के सिख नेताओं के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है। दिल्ली में खालसा स्टेडियम के विकल्प पर विचार किया जा रहा है और इधर कुछ नेताओं पर तलवार लटकी है। कमलनाथ के नजदीक जाने के चक्कर में वे दूर हो गए। प्रदेश स्तर के एक नेता ने दबाव-प्रभाव के चलते इनकी बलि ले ली। अब सिख नेता हर जगह सफाई देते फिर रहे हैं, लेकिन उनकी सफाई काम नहीं आ रही है। कहा जा रहा है कि दूसरा गुट इस मुद्दे को लगातार हवा दे रहा है, ताकि ये नेता फिर से कमलनाथ के आगे-पीछे नजर नहीं आएं। खैर जो भी माफी या सजा होना है वह राहुल के प्रदेश से लौटने के बाद ही हो पाएगी।

भाजपा और कांग्रेस दोनों ने भले ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हों, लेकिन दोनों ही पार्टियों में चुनावी माहौल नहीं बन पा रहा है। कार्यकर्ता भी इसी चक्कर में हैं कि 6 महीने पहले एक्टिव होंगे। -संजीव मालवीय

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