
शुतुरमुर्ग की तरह हो गए कांग्रेस प्रवक्ता
प्रदेश कांग्रेस (State Congress) ने हाल ही में अपने प्रवक्ताओं की सूची जारी की। इसमें इंदौर (Indore) से सर्वाधिक नाम लिए गए हैं। 9 प्रवक्ताओं (Spokespersons) को प्रदेश स्तर का जिम्मा दिया गया है, ताकि वे पक्ष के खिलाफ माहौल बना सकें, लेकिन नियुक्ति के बाद भी कई प्रवक्ता शुतुरमुर्ग की तरह अपने-अपने आकाओं के यहां जमा हैं और कभी भाजपा के खिलाफ सिर ऊंचा कर बोलने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं। फिलहाल तो अमित चौरसिया ही एक ऐसे प्रवक्ता नजर आ रहे हैं, जो प्रदेश के नेताओं की ओर देखे बिना ही बयान जारी कर देते हैं और भाजपा पर हमलावर होने का कोई मौका नहीं छोड़ते। होना भी चाहिए, क्योंकि यही तो पॉलिटिक्स है प्यारे। जिस दिन बोलना बंद किया उसी दिन से दुकान पर ताला लगा और फिर अमित ऐसे गुट से आते हैं, जो भाजपा के लिए लगातार मुसीबत पैदा करता रहता है।
मंत्री के बाद ड्राइवर हो जाते हैं वीआईपी
खबर पॉलिटिक्स से हटकर है। दरअसल हो ये रहा है कि जो कारें या कहें कि इनोवा या हाइब्रिड गाड़ी जो मंत्रियों के काफिले में लगती है, उसके ड्राइवर अपने आपको किसी मंत्री से कम नहीं आंकते हैं। जब वे मंत्रियों को छोडक़र वापस अपने ट्रेवल्स या ठेकेदार के पास जाते हैं तो सायरन बजाते हुए पहुंचते हैं। एक साथ जाती गाडिय़ों को देखकर आम आदमी तो क्या चौराहे पर तैनात पुलिस वाले तक डर जाते हैं और वाहनों को हटाने के लिए सिटी बजाने लगते हैं, लेकिन जब वे गाड़ी में देखते हैं तो ड्राइवर महाशय मस्ती में गाड़ी दौड़ाते नजर आते हैं। इस पर किसी का बस नहीं है और न ही ठेकेदार का। नियमानुसार जब गाड़ी में कोई वीआईपी न हो तब नेम प्लेट और झंडियों को ढंकना होता है, लेकिन इन ड्राइवरों को कौन समझाए।
सुमित के हाथ क्या आएगा?
वे कार्यकर्ता परेशान हैं, जो नगर कार्यकारिणी में आना चाहते हैं। दिन-रात वे अध्यक्ष का हुक्का- पानी भर रहे हैं और दीनदयाल भवन का चक्कर लगा रहे हैं, ताकि बता सकें कि वे कितने सक्रिय हैं और नए अध्यक्ष के कितने करीबी हैं। कई तो विधायक के मार्फत सुमित के दरबारी बनना चाहते हैं। हालांकि उन्हें मालूम है कि सुमित की नगर कार्यकारिणी में ज्यादा चलने वाली नहीं, क्योंकि शहर में दो मंत्री, सांसद, महापौर, विधायक सभी भाजपा के हैं और वरिष्ठ नेताओं की सूची अलग। सबके एक-दो नाम भी एडजस्ट करना पड़े तो सुमित के पास एक या दो पद बचेंगे और फिर इस पर भी किसी ने नाम दे दिया तो वे क्या करेंगे। वैसे इस बार 2 और 3 नंबर के अधिकांश नेताओं की लॉटरी लगने वाली है।
मैं नहीं तो पत्नी को मिले कुर्सी
युवक कांग्रेस के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और दावेदार मैदान में हैं। इंदौर के अध्यक्ष के लिए एक चौंकाने वाला नाम भी सामने है और वो है इबा खान। इबा खान के नाम को लेकर आश्चर्य इसलिए किया जा रहा है कि उनका कोई सक्रिय योगदान युवक कांग्रेस में नहीं रहा है। वे राजनीति में सक्रिय तो रही हैं, लेकिन इतनी भी नहीं कि शहर युवक कांग्रेस अध्यक्ष के लिए दावेदारी कर सकें। वैसे उनके पति रमीज खान युकां के शहर अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्होंने ही अपनी पत्नी को मैदान में उतारकर अपनी दावेदारी दर्शाई है। चर्चा है कि रमीज युवक कांग्रेस को ही ठीक तरीके से नहीं चला पाए और गुटबाजी में बंधकर रह गए तो पत्नी का नामांकन कैसे भरवा दिया?
पहले हयात और अब भूमिपूजन की चर्चा
यात्रा की शुरुआत में जब मंचीय कार्यक्रम चल रहा था, तब पूर्व विधायक संजय शुक्ला मुख्यमंत्री का स्वागत करने पहुंचे। उन्हें देखते ही मुख्यमंत्री ने कहा कि आपने तो हयात होटल लाकर इंदौर और प्रदेश की शान बढ़ा दी है। बस फिर क्या था, शुक्ला ने हाथोहाथ भूमिपूजन का निमंत्रण दे डाला। मुख्यमंत्री ने भी कह दिया कि भूमिपूजन तो वे ही करेंगे। पहले इंदौर में ग्रैंड हयात की चर्चा थी और अब मुख्यमंत्री से शुक्ला की नजदीकियों की चर्चा खुलेआम है। अब होटल के भूमिपूजन की तारीख का इंतजार किया जा रहा है।
वर्षों से ताई के नजदीकियों में शामिल और कई मामलों के विशेषज्ञ लगातार अपने सोशल मीडिया हैंडलर पर सवाल उठाते रहे हैं और अब उन्होंने सवाल किया है कि इंदौर में होने जा रही कैबिनेट की बैठक से इंदौर को क्या हासिल होना है? उन्होंने बैठक के लिए होने वाले खर्चे और आम जनता के कामों को लेकर भी सवाल किया।
-संजीव मालवीय
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