
चढ़ावा वापस लेने का विवाद
नगर निगम (Municipal council) के एक इंजीनियर (Engineer) का पिछले दिनों कुछ नेताओं ने मिलकर तबादला (Transfer) करवा दिया था। इस इंजीनियर ने इंदौर के प्रमुख मंदिर के पुजारी (Priests of the temple) से मिलकर अपना तबादला कैंसिल करवा लिया। यह काम करवाने के लिए उन्हें पुजारी के समक्ष अच्छा चढ़ावा चढ़ाना पड़ा। बाद में इस मामले को नेताओं ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया और इस इंजीनियर का फिर से तबादला कर दिया गया। अब तो यह इंजीनियर इंदौर से विदा होकर खंडवा में जाकर काम भी करने लगा है। अब जो नया विवाद शुरू हुआ है उसमें उक्त इंजीनियर द्वारा मंदिर के पुजारी को चढ़ावे में दी गई राशि वापस मांगी जा रही है। बताते हैं कि इस बारे में पुजारी का कहना है कि मैंने तो तबादला कैंसिल करवा दिया था, इसलिए राशि वापस करने का प्रश्न नहीं उठता है। इंजीनियर का कहना है कि तबादला फिर से हो गया था, इसलिए चढ़ावे की राशि वापस दो। यह मामला अब उलझ रहा है। अब इस चढ़ावे के मामले में भी नेतानगरी उतर चुकी है। देखना है कि इस मामले को सुलझाने में नेताओं को कितनी सफलता मिलती है…
शिवराज को भूल गए गोलू
इस सप्ताह में विधायक गोलू शुक्ला बार-बार चर्चा का केंद्र बने। उन्हें पार्टी का विधानसभा चुनाव का टिकट दिलाने में मुख्य भूमिका अदा करने वाले प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जब इंदौर आए तो गोलू उन्हें भूल गए। उनकी अगवानी के लिए भी नहीं पहुंचे। जब शिवराज खेमे के नेताओं ने संदेश भिजवाया, तब जाकर गोलू कार्यक्रम में पहुंचे और शिवराज से मिले। इसके अगले दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इंदौर आए तो गोलू बीमार होने के कारण अस्पताल में भर्ती थे। गोलू भी उस अस्पताल में भर्ती थे, जिस अस्पताल में मुख्यमंत्री दूसरे विधायक की तबीयत पूछने के लिए जाने वाले थे। मुख्यमंत्री अस्पताल में गए तो एक के बजाय दो विधायकों की तबीयत पूछ ली। मुख्यमंत्री के मिलने आने से गोलू की तबीयत खुश हो गई। इसके साथ ही भाजपा के नेताओं के बीच गोलू की तबीयत खराब होने और ठीक होने का किस्सा एक चुटकला बन गया।
आखिर क्या चाहते हैं शिवराज…?
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इंदौर यात्रा में भाजपा की राजनीति को गर्मा दिया। इंदौर आने के बाद पहले तो एयरपोर्ट पर ही प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से बंद कमरे में चर्चा कर ली। इसके बाद रात्रि भोज करने के लिए भी विजयवर्गीय के घर पर सपत्नीक पहुंच गए। इस घटनाक्रम से इंदौर से लेकर भोपाल तक भाजपा की राजनीति में तूफान आ गया। अब हर कोई इस मुलाकात के मायने खोजने में लगा हुआ है। बड़े नेताओं का मानना है कि इस मुलाकात का परिणाम आने वाले दिनों में सामने आएगा।
नवसृजन अभियान की परीक्षा
कांग्रेस में शुरू किए गए नवसृजन अभियान की इंदौर में परीक्षा शुरू हो गई है। कांग्रेस के बड़े नेता अपने समर्थक को इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान दिलाना चाहते हैं। इसके लिए बड़े नेताओं में एकता भी बनने लगी है और इंदौर के उनके समर्थकों में भी एकता बनाने की कोशिश चल रही है। यह तैयारी है कि अभियान के तहत अध्यक्ष पद पर दीपू यादव की ताजपोशी कर दी जाए। इसमें यदि कोई दिक्कत आती है तो विकल्प पर भी चर्चा हुई। दूसरे विकल्प के रूप में राजू भदौरिया का नाम रखा गया है। इसमें दिक्कत यही है कि अभी निगम में नेता प्रतिपक्ष का पद विधानसभा क्षेत्र 2 के पास ही है, ऐसे में शहर अध्यक्ष पद भी इस क्षेत्र को नहीं दिया जा सकता। नवसृजन अभियान में दौड़ में आगे निकलने वाले अमन बजाज को प्रदेश इकाई में फिर से एडजस्ट कर लिया जाए। यदि शहर अध्यक्ष में ज्यादा विवाद होते हैं तो उस स्थिति में सज्जनसिंह वर्मा के भतीजे अभय वर्मा के नाम को भी विकल्प के रूप में तैयार रखा गया है। इस तरह कांग्रेस का नवसृजन अभियान मप्र में नेताओं के बीच एकता के सृजन के अभियान के रूप में परिवर्तित करने की तैयारी है।
कांग्रेस के पर्यवेक्षक को दे दिया ऑफर
नवसृजन अभियान के तहत जिला कांग्रेस का अध्यक्ष चुनने के लिए पर्यवेक्षक द्वारा पूरे जिला क्षेत्र का दौरा कर लिया गया है। जिले में तो पर्यवेक्षक ने एक-एक ब्लॉक में जाकर बैठक की है और कार्यकर्ताओं से उनकी राय ली है। राय-मशविरा के अंतिम दौर में जब उन्होंने प्रत्याशियों से एक के बाद एक बात करना शुरू किया तो उस समय अजीब स्थिति बन गई। जिला अध्यक्ष पद के दो दावेदार सोहराब पटेल और मोतीसिंह ने पर्यवेक्षक को यह ऑफर दिया कि हम दोनों में से किसी को भी अध्यक्ष बनाया जाता है तो दूसरा व्यक्ति उसके नेतृत्व में काम करेगा। यह स्थिति निश्चित तौर पर पर्यवेक्षक के लिए भी एक अजूबा थी। इस ऑफर को सुनकर पर्यवेक्षक मुस्करा-भर दिए और उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। अब पर्यवेक्षक की इस चुप्पी और मुस्कान का अर्थ खोजने में जिला कांग्रेस के दावेदार नेता लगे हैं।
भाजपा के कार्यक्रम में कांग्रेस की संस्कृति
आपातकाल की बरसी पर भाजपा द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रम में कांग्रेस की संस्कृति नजर आने लगी थी। दरअसल जब कार्यक्रम चल रहा था उस समय भाजयुमो की एक टीम ने कार्यक्रम स्थल पर जाते ही नारेबाजी शुरू कर दी। तत्काल भाजपा के नेता सक्रिय हुए और इस टीम को खामोश करवाया।
आखिर कहां से आ रही है भीड़
भाजपा द्वारा नगर में आयोजित किया जा रहे कार्यक्रम में इन दिनों अच्छी भीड़ जमा हो रही है। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हाल ही में दो कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें पहला कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के 11 साल होने पर था तो दूसरा आपातकाल की बरसी का था। इन दोनों में इस बड़े कार्यक्रम स्थल पर इतनी भीड़ आई कि कार्यक्रम स्थल पूरी तरह भरा गया और बड़ी संख्या में लोग खड़े रहकर कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दृश्य से भाजपा के नेताओं के बीच यह सवाल उठने लगा कि आखिर यह भीड़ आ कहां से रही है ? भाजपा के नेता इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं। -डॉ. जितेंद्र जाखेटिया
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