
सोनकर और प्रताप की होगी रवानगी?
मोहन सरकार (Mohan Sarkar) बनने के बाद सत्ता की मलाई खाने वाले इंदौरी नेता सावन सोनकर (Sawan Sonkar) और प्रताप करोसिया (Pratap Karosia) अभी तक भोपाल में बने हुए हैं। मोहन सरकार ने उन्हें इसलिए नहीं बताया था कि एससी वर्ग के वोट बैंक पर असर पड़ेगा। अब कहा जा रहा है कि उनकी रवानगी का समय नजदीक है और उनके स्थान पर किसी दूसरे दलित नेता को उपकृत किया जा सकता है। सारी कवायद भोपाल में शुरू हो चुकी है और किसी भी दिन सूची घोषित हो सकती है। इन दोनों में से कौन घर बैठेगा, इस बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन अब दूसरे दावेदार सक्रिय हो गए हैं और माहौल ऐसा ही रहा तो इनकी रवानगी संभव है। वैसे पार्टी भी अब नए दलित नेताओं को उपकृत करने के चक्कर में नजर आ रही है।
रीना सबसे ज्यादा नुकसान में है
कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की घोषणा में सबसे ज्यादा नुकसान में है तो वो है रीना बोरासी सेतिया। सांवेर में पूरी तरह से टिकी हुई रीना को लग रहा था कि जिलाध्यक्ष बनने के बाद सांवेर से ही उनका दावा और पुख्ता हो जाएगा। पद नहीं मिला, सांवेर हार गई थीं। इसलिए अब नए राजनीतिक मुकाम की तलाश है। हालांकि वे सांवेर छोडऩा नहीं चाहती हैं और 2028 की दावेदारी अभी से कर रही हैं। 2023 में टिकट लेकर आई रीना के पास ग्रामीण नेता तो हैं, लेकिन वे भी मन से रीना का साथ नहीं दे पा रहे हैं। कारण सामने साम, दाम, दंड, भेद की राजनीति करने वाले पेलवान जो हैं।
इस बार कीचड़ से किनारा कर लिया
कांग्रेस में महिला पार्षद के नाम पर अभी सोनिला मिमरोट काफी सक्रिय हैं। उनकी बात करें तो विकास नगर पानी की टंकी के सामने की सडक़ को लेकर वे पिछली बार कीचड़ में जा बैठी थीं। इस बार समस्या और विकराल थी, लेकिन पार्षद महोदया ने उधर पैर तक नहीं घुमाया। लोग परेशान होते रहे। इसी वार्ड के सामने एक दूसरी महिला भी पार्षद हैं, जो कांग्रेस की हैं। वे घर से बहुत ही कम निकलती हैं और सारा कामकाज उनके पति देखते हैं। अब जनता की आवाज कौन उठाए? मीडिया ही आमजन की आवाज बना और यहां मुरम डालकर जैसे-तैसे चलने लायक सडक़ बनाई।
कहां फीट होंगे शंकर के गण?
सासंद शंकर लालवानी के पास उनके समर्थकों की लंबी लिस्ट है। विशाल गिदवानी, बंटी गोयल, सतीश शर्मा, कमल गोस्वामी, पवन शर्मा, संकल्प वर्मा, रितेश पाटनी, कपिल जैन, कमल आहूजा जैसे नाम हैं, जो भाजपा की नई टीम में कहीं न कहीं फिट होना चाह रहे हैं। शंकर के पास स्थान सीमित है और वे हर किसी को तो एडजस्ट नहीं करा सकते। टीम में ही अब एक दूसरे को पछाडऩे की होड़ मची हुई है और शंकर के गण मानकर चल रहे हैं कि अभी नहीं तो कभी नहीं, इसलिए वे कहीं न कहीं फिट होना चाह रहे हैं। देखते हैं शह और मात के बीच कौन आगे आ पाता है। वैसे यही स्थिति नगर निगम चुनाव के समय बनी थी, जब वे एक भी पुरुष कार्यकर्ता को टिकट नहीं दिला पाए थे। तब से शंकर के गणों में नाराजगी थी, लेकिन अब एक बार फिर आस बंधी है और देखना है कि उनकी आस कितनी पूर हो पाती है?
चिंटू ने राजबाड़ा जाकर तोड़ी परंपरा
चिंटू चौकसे जब से शहर कांग्रेस अध्यक्ष बने हैं कुछ न कुछ ऐसा कर रहे हैं, जिससे उनके संगठन का फैसला सही साबित कर सके और आम लोगों में भी मैसेज दे सके कि वे लकीर की फकीर वाले कांग्रेसी नहीं है। चिंटू अहिल्या माता की जयंती पर राजबाड़ा पहुंच गए और बाकायदा माल्यार्पण किया। नहीं तो इसके पूर्व के अध्यक्ष अपने ही कार्यक्रमों से तौबा कर लेते थे। वैसे चिंटू का मकसद और भी कुछ है और 4 तारीख को वे पदभार ग्रहण करने जा रहे हैं। एक तरह से इस दिन उनकी अग्नि परीक्षा भी होना है। समर्थक कह रहे हैं कि भिया जब दूसरे कार्यक्रमों में भीड़ इक_ा कर लेते हैं और अब तो ये उनका अध्यक्षीय कार्यकाल का पहला बड़ा आयोजन है, जिसमें रिकॉर्डतोड़ भीड़ नजर आएगी।
कांग्रेस नेता की आजादी के नारे
दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में सालों पहले लगे नारे हम लेकर रहेंगे आजादी इन दिनों एक इंदौरी कांग्रेस नेता चला रहे हैं। बाकायदा उन्होंने इसे मीडिया को भी भिजवाया। धरना प्रदर्शन में अव्वल इन नेताजी को किससे आजादी चाहिए, ये स्पष्ट नहीं हो रहा है। वैसे नेताजी का सलाना आयोजन भी आने वाला है, जिसको लेकर वे पूरी ताकत लगा देते हैं। नेताजी को किस तरह की आजादी चाहिए, ये कोई समझ नहीं पा रहा है। वैसे उन्होंने आजादी के नारे को लेकर अपने आपको कांग्रेस से अलग खड़ा कर लिया है। अब भाजपा देखें, इसमें विरोध करना है या चुप बैठना है।
टैक्स हम देते हैं तो महापौर कौन?
सराफा व्यापारियों ने बोला है कि दुकान हमारी, ओटला हमारा और टैक्स भी हम दे रहे हैं तो महापौर कौन होते हैं हमारी दुकान के आगे चाट चौपाटी वालों को जगह देने वाले। इसके बाद अब लड़ाई और बड़ी हो गई। विधायक मालिनी गौड़ पहले ही कह चुकी हैं कि मेरेे क्षेत्र में किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं होगा। भाजपा संगठन ने भी हाथ खींच लिए हैं और महापौर मित्र अलग-थलग पड़ गए, लेकिन कल न जाने महापौर ने क्या घुट्टी पिलाई कि सब व्यापारी उनके सुर में सुर मिलाने लगे। बात कायदों की हुई है और देखना यह है कि कायदा कहां तक फायदा देता है?
भाजपा नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा की 2 और 3 नंबर विधानसभा से नजदीकी कई भाजपाइयों को रास नहीं आ रही है और वे यही नोट कर रहे हैं कि सुमित ने एक सप्ताह में कितनी बार 2 और 3 नंबर विधानसभा के चक्कर लगाए या फिर स्थानीय विधायक के साथ कितनी बार रहे। पढ़ रहे हो ना सुमित… जरा ध्यान रखना। चलते-फिरते सीसीटीवी ज्यादा घूम रहे हंै।
-संजीव मालवीय
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