
डेस्क: इस्तांबुल (Istanbul) में पाकिस्तान (Pakistan) और अफगान तालिबान के बीच चली बातचीत एक बार फिर बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई. लेकिन इस बार विवाद की जड़ कोई राजनीतिक मसला नहीं, बल्कि एक फतवा (Fatwa) है. पाकिस्तान चाहता था कि अफगान तालिबान अपने सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा से यह ऐलान करवाए कि पाकिस्तान में चल रही जंग गैर-इस्लामी है. यानी तालिबान पाकिस्तान के खिलाफ जारी संघर्ष को गलत ठहराए. लेकिन अफगान तालिबान ने यह मांग साफ शब्दों में ठुकरा दी.
तालिबान वार्ता दल के प्रमुख रहमतुल्लाह नजीब, जो अफगान सरकार में उप गृह मंत्री भी हैं, ने बताया कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने उनसे आग्रह किया था कि हिबतुल्लाह अखुंदजादा इस युद्ध को नाजायज घोषित करें. इस पर तालिबान ने कहा कि, अमीर हुक्म देते हैं, फतवे नहीं.
नजीब के मुताबिक अगर पाकिस्तान को कोई धार्मिक आदेश चाहिए, तो उसे तालिबान के दारुल इफ्ता यानी फतवा जारी करने वाली संस्था में औपचारिक आवेदन करना होगा. साथ ही उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान को अपने मुताबिक फतवा मिलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, फतवा वही होगा जो शरीयत कहेगी. नजीब ने दो टूक कहा कि अफगान तालिबान किसी ऐसी जंग को न तो जायज कह सकता है और न नाजायज, जो अफगानिस्तान से बाहर लड़ी जा रही हो.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved