
इंदौर। आस्था, परंपरा, श्रद्धा और जीवरक्षा का प्रतीक नागपंचमी पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 29 जुलाई को मनाया जाएगा। नागपंचमी हिंदू धर्म में सर्पों की पूजा का विशेष दिन है। इस बार यह पर्व विशेष शिववास योग में मनाया जाएगा। नागपंचमी पर्व को लेकर शहर के नाग मंदिरों में विशेष तैयारियां शुरू हो गई हैं। कुम्हारखाड़ी प्राचीन नाग मंदिर, किला मैदान स्थित नागेश्वरधाम मंदिर, सुदामा नगर कालेश्वरधाम मंदिर , कृषि कालेज रोड स्थित नाग मंदिर, छीपा बाखल नागदेवता मंदिर, छत्रीबाग नाग मंदिर में नागपंचमी के दिन अलसुबह से अनुष्ठान-अभिषेक आयोजित किए जाएंगे।
पंचांगों के अनुसार नागपंचमी पर पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 5. 41 से 8.23 तक है। मंदिर परिसर में मेले लगेंगे। कुम्हारखाड़ी में परंपरा अनुसार दंगल भी आयोजित किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करने से सभी तरह के दु:खों से मुक्ति मिलती है और कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष भी दूर होता है। नागपंचमी तिथि 28 जुलाई को रात्रि 11 बजकर 24 मिनट से लगेगी और तिथि का समापन 29 जुलाई को दोपहर में होगा। इसलिए उदयातिथि अनुसार नागपंचमी 29 को ही मनाई जाएगी।
इस बार नागपंचमी पर अद्भुत योग
इस बार नागपंचमी पर शिववास योग का अद्भुत संयोग हो रहा है। इस योग में भगवान शिव-मां पार्वती कैलाश में वास करते हैं और भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। इस शुभ योग में नागदेवता की पूजा करने से हर तरह के सुखों की प्राप्ति होगी है।
इसलिए मनाई जाती है नागपंचमी
पुराणों अनुसार महाभारत में जब राजा जन्मेजय ने नागों का सर्वनाश करने के लिए सर्पयज्ञ किया था, तब उनकी मां उत्तरा के कहने पर आस्तिक ऋषि ने नागों की रक्षा की और तभी से नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन नागों को सम्मान देने और प्रकृति व जीवनरक्षा का त्योहार है।
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