
चंडीगढ़ । पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले में मृतकों (Those killed in Pahalgam Terror Attack) को नहीं मिलेगा ‘शहीद’ का दर्जा (Will not get ‘Martyr’ Status) । पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगो को शहीद का दर्जा देने की मांग वाली याचिका कोर्ट ने ख़ारिज कर दी । इस दौरान कोर्ट ने कहा कि नीति बनाना कोर्ट का काम नहीं, यह कार्यपालिका का अधिकार क्षेत्र है।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की एक डिवीजन पीठ ने कहा कि अदालत भावना से परे नहीं है, लेकिन उसका दायरा सविधान के दायरे तक सीमित है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आयुष आहूजा ने सुनवाई के दौरान एक भावनात्मक अपील की और कहा, “धर्म के नाम पर, मारे गए निर्दोष पर्यटक एक सैनिक से कम नहीं थे ; उसे केवल सिर पर गोली मार दी गई थी कि वे कौन थे?” “एक शहीद घोषित करना अनुच्छेद 226 के अंतर्गत आता है?” हां, उदाहरण दें – यह पूछा गया था, “लेकिन जवाब उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा” ।
याचिका में कहा गया था कि 26 मौतों को “शहीद” कहा जाना चाहिए। स्थान का नाम ‘शहीद घाटी पर्यटन स्टेशन’ के रूप में रखा जाना चाहिए। स्मारकों और मूर्तियों पर निर्माण शुरू होना चाहिए । गोल्डन लेटरिंग का उपयोग नामों के लिए किया जाना चाहिए। कोर्ट में याचिका 2 मई, 2025 को दायर की गई थी।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने याचिका पर आपत्ति जताई और कहा कि “हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि भारत आपातकाल की स्थिति में है; गृह मंत्री उसी शाम श्रीनगर पहुंचे। युद्ध के मुहाने पर देश खड़ा है ,अभी भावनात्मक नहीं, रणनीतिक संतुलन ज़रूरी है।” पहली सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि सैनिकों को आम तौर पर शहीद घोषित करने में एक साल या उससे अधिक समय लगता है। इन स्थितियों में, भावनाओं के बजाय प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved