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गांवों में हजारों उद्योग खुले, युवाओं का शहरों की तरफ पलायन रुका

May 15, 2025

  • घूंघट छोड़ गांव की सैकड़ों महिलाओं ने सशक्तता का बीड़ा उठाया
  • घर-घर लगाए जा रहे उद्योग ,महिलाओं को 30 प्रतिशत की मिल रही सब्सिडी

इंदौर, प्रियंका देशपांडे ।
इंदौर (Indore) जिला तेजी से विकास कर औद्योगिक नगरी (industrial town) के रूप में अपनी पहचान बना रहा है, वहीं अब ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) में भी घर-घर उद्योग स्थापित हो रहे हैं। जिला पंचायत द्वारा मुख्यमंत्री (CM) व प्रधानमंत्री (PM) द्वारा चलाई योजनाओं के माध्यम से जहां महिलाओं को सशक्त किया जा रहा हैं, वहीं युवाओं के पलायन को रोकने के लिए प्रशासन ने इंदौर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 308 नए उद्योग शुरू कर दिए हैं, जहां 300 महिलाओं ने वर्क फ्राम होम यानी घर में ही काम शुरू कर दिया है, जिससे जहां महिलाओं को रोजगार मिला, वहीं घर के युवा भी उस उद्योग से जुड़ गए और हजारों युवाओं का पलायन नौकरी के लिए शहर की तरफ रुक गया है।

इंदौर ग्रामीण क्षेत्र में 418, महू ग्रामीण क्षेत्र में 505, सांवेर ग्रामीण क्षेत्र के 468 के साथ देपालपुर की पंचायतों में 565 पलायन सशक्तिकरण में बदल गया है। जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन ने बताया कि इंदौर में हर गांव के घर-घर में उद्योग स्थापित करने और पलायन रोकने के लिए जिला पंचायत द्वारा क्लस्टर लेवल पर सर्वे कराया गया था, जिसमें 160 पंचायतें चिन्हित की गर्इं, जहां कोई रोजगार नहीं था। एक साल में यहां की सूरत ही बदल गई है। क्लस्टर लेवल पर कैंप लगाकर निवेश करने और इसके फायदे टीम द्वारा ग्रामीणों को बताए गए। इसके बाद महिलाएं और युवा तेजी से आगे आए हैं।


महिलाओं ने घूंघट छोड़ा और कमान संभाली
सिवनी निवासी नेहा चौहान 2 बच्चो की मां होने के बावजूद सास बबीता चौहान के साथ मिलकर न खुद सशक्त बना रही है, बल्कि अपने साथ ग्रामीण क्षेत्र की कई महिलाओं को रोजगार दे रही है। राहुल चौहान की पत्नी ने 75 लाख का लोन लिया और आटा मिल शुरू किया। हाउस वाइफ की पहचान छोड़ अब आटा मिल चला रही हैं । वह अपने पति के साथ मिलकर जल्द ही कुबेर आटा के नाम से ब्राण्ड तैयार करा रही है। इसी तरह की कई कहानियां और हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने दूध के उत्पाद, डेरी, रेडिमेड गारमेंट, बेकरी प्रोडक्ट के साथ खली उद्योग, आटा मिल, नमकीन बनाने की फैक्ट्रियां, कोल्ड प्रेस्ड ऑयल के साथ दोना-पत्तल बनाना शुरू किया है, वहीं युवाओं ने वेल्डिंग व फेब्रिकेशन, ब्रिक्स व पेवर ब्लॉक, वायर बनाने की फैक्ट्री के साथ लार्जर इंडस्ट्रियल यूनिट भी डाली है।

यह योजनाएं बनीं उड़ान
मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन, मध्यप्रदेश एमएसएमई प्रोत्साहन योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में अब तक 360 ग्राम पंचायतों में 308 नए उद्योग शुरू हो सके हैं। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सूक्ष्म लघु एवं मध्यम आकार के उद्यम लगाने में लगभग 90.41 करोड़ रुपए का खर्च बैंक के माध्यम से लोन दिलाकर किया गया है।

प्रशासनिक अधिकारी बने सेतु
युवा अधिकारियों द्वारा सेतु बनते हुए न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर आयोजित किया, बल्कि घर-घर जाकर इच्छुक महिलाओं और युवाओं को समझाया। प्रत्येक ग्राम रोजगार अभियान के तहत 189 पंचायतों में जागरूकता शिविर आयोजित किए गए, जहां 720 इच्छुक महिलाओं और युवकों ने जानकारी एकत्रित कर मार्गदर्शन लिया, जिसके बाद इंदौर ग्रामीण क्षेत्र में 52 उद्योग 21.89 करोड़ रुपए की लागत से खड़े किए गए हैं, वहीं महू तहसील में 66 उद्योग 16.49 करोड़ की लागत से स्थापित हो चुके हैं। सांवेर में यह आंकड़ा 93 उद्योगों तक पहुंच गया है। यहां लगभग 27.98 करोड़ रुपए खर्च कर छोटे-बड़े उद्योग लगाए जा चुके हैं। देपालपुर तहसील में 97 उद्योग 23.78 करोड़ की मदद से चल पड़े हैं। जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन ने बताया कि कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर सूक्ष्म व लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, उद्यानिकी विभाग की मदद से कई बैंकों को भी समन्वय के लिए आमंत्रित किया गया। सरकारी योजनाओं के तहत महिलाओं को 30 से 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है।

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