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संसद के शीत सत्र में विपक्ष से न हो टकराव, सरकार का 30 नवंबर को सर्वदलीय बैठक का प्रस्ताव

November 25, 2025

नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) ने लगातार हंगामे की भेंट चढ़ रहे संसद सत्र (Parliament Session) को ठीक ढंग से चलाने के लिए सभी विपक्षी दलों को बातचीत के लिए साथ लाने की कोशिश शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, इसी कड़ी में संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने 30 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। केंद्र सरकार इसके जरिए शीत सत्र की कार्यवाही को ठीक ढंग से चलाने को लेकर सहमति बनाने की कोशिश करेगी।

बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है और सरकार इस बार 10 नए विधेयक पेश करने की तैयारी में है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है ‘परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025’, जो देश के नागरिक परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने का रास्ता बनाएगा। अब तक यह क्षेत्र पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में रहा है। सरकार का कहना है कि यह नया कानून परमाणु ऊर्जा के उपयोग और उसके नियमन से जुड़े ढांचे को आधुनिक और प्रभावी बनाएगा। इससे देश में ऊर्जा उत्पादन और तकनीकी विकास को नई गति मिलने की उम्मीद है।


सत्र के एजेंडे में हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल भी शामिल है। लोकसभा के बुलेटिन के मुताबिक यह बिल ऐसे आयोग की स्थापना करेगा, जो विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को अधिक स्वायत्तता दे, उन्हें स्वतंत्र और स्वयं-शासित संस्थान बनने में मदद करे और मान्यता की प्रक्रिया को पारदर्शी और मजबूत बनाए। यह प्रस्ताव काफी समय से सरकार की योजना में रहा है और अब इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।

सड़कों, कंपनियों और बाजार से जुड़े अहम संशोधन

  1. नेशनल हाईवेज (संसोधन) बिल- राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए जमीन अधिग्रहण को तेज, पारदर्शी और सरल बनाने का लक्ष्य।
  2. कॉरपोरेट लॉज (संसोधन) बिल, 2025- कंपनियों अधिनियम 2013 और एलएलपी एक्ट 2008 में बदलाव के जरिए ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा देना।
  3. सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल, 2025- सेबी अधिनियम, डिपॉजिटरी अधिनियम और प्रतिभूति अनुबंध विनियमन अधिनियम- इन तीन पुराने कानूनों को समेटकर एक ही ‘सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड’ बनाने का प्रस्ताव। इससे बाजार से जुड़े नियम सरल और एक समान होंगे।

सरकार मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में भी बदलाव लाने पर विचार कर रही है। ज्यादा स्पष्टता के लिए एक समिति को इसकी समीक्षा का काम दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी तथा सेक्शन 34 में संशोधन की आवश्यकता को देखते हुए नया प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

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