
नई दिल्ली: वंचित बहुजन आघाड़ी (Vanchit Bahujan Aghadi) के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर (Prakash Ambedkar) ने बुधवार (26 नवंबर, 2025) को संविधान दिवस (Constitution Day) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की चिट्ठी (Letter) को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि आज देश दो रास्तों पर खड़ा है, इसमें एक संविधान का रास्ता है और दूसरा मनुवाद (Manuism) का रास्ता है. यह द्वंद्व बाबा साहेब अंबेडकर (Babasaheb Ambedkar) ने 1953-54 में बनारस विश्वविद्यालय में ही बता दिया था.
उन्होंने कहा, ”जब तक यह संघर्ष खत्म नहीं होगा, भारत विकसित नहीं हो सकता है. 75 साल बाद भी वही स्थिति बनी हुई है. जो लोग संविधान का समर्थन करते हैं, उनकी अलग तर्कशक्ति है और जो संविधान के विरोध में हैं, वे धर्म का सहारा लेकर अपना एजेंडा आगे बढ़ाते हैं.”
प्रकाश अंबेडकर ने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख दोनों ने अयोध्या में एक नया ध्वज दिखाकर राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है. 1950 में सरदार पटेल ने इन्हें तिरंगा फहराने के लिए मजबूर किया था. आज जो ध्वज अयोध्या में फहराया गया, वह देश को विकसित नहीं करेगा, बल्कि लोगों को बांटने वाला प्रतीक बन जाएगा.”
वहीं, वंचित बहुचन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को एक आतंकवादी संगठन करार देने वाले अपने बयान पर भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, ”जो संगठन UAPA के तहत पंजीकृत नहीं हैं और चंदा, हथियार जैसी गतिविधियां गुपचुप तरीके से करते हैं, उन्हें आतंकवादी संगठन माना जाता है. वही नियम आरएसएस पर भी लागू होना चाहिए. देश के गणपति मंडल तक चैरिटेबल कमिश्नर के पास रजिस्टर करते हैं, तो ये क्यों नहीं करते? यह साफ दिखता है कि ये लोग मानते हैं कि आरएसएस बड़ा है और देश छोटा. यही मनुवादी सोच है.” उन्होंने कहा कि जब तक आरएसएस को पंजीकरण नहीं किया जाएगा, तब तक देश में विवाद बना रहेगा और लोग धर्म के नाम पर भटके रहेंगे.
अंबेडकर ने कहा, ”1969 से 1971 तक कांग्रेस सरकार ने बांग्लादेशियों को राजनीतिक और सुरक्षा कारणों से पनाह दी थी, लेकिन अब केंद्र सरकार उन्हें ही खतरा बताकर बाहर करना चाहती है. यह सरकार का खतरनाक खेल है, जिसे भारतीय अभी समझ नहीं पा रहे हैं.” उन्होंने कहा, ”ऑपरेशन सिंदूर के समय भी कोई देश हमारे साथ नहीं खड़ा हुआ था. RSS और बीजेपी विश्वसनीय नहीं हैं, इसलिए जो देश भारत की मदद करते थे, वे भी अब भरोसा नहीं करते हैं.”
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