
नई दिल्ली। वर्ष 1964 के ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे हरबिंदर सिंह ने उम्मीद जताई है कि अगले साल टोक्यो ओलंपिक उतना ही यादगार होगा, जितना उनके लिए 1964 में था।
उन्होंने कहा, “1964 के टोक्यो ओलम्पिक खेलों में पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मुकाबले से बहुत ही ज्वलंत यादें जुड़ी हैं। यह एक तनावपूर्ण फाइनल था और अंपायर ने दोनों टीमों को चेतावनी दी थी कि अगर मैच के दौरान कोई भी बेईमानी होगी, तो खिलाड़ी को लाल कार्ड दिया जाएगा और वह मैच से बाहर हो जाएगा।”
उन्होंने कहा कि हमने फाइनल तक का सफर बहुत ही मजबूत प्रदर्शन के साथ तय किया था। इस दौरान हमने कुछ बड़ी टीमों को हराया था। जिसमें हमने बेल्जियम को 2-0, हांगकांग को 6-0, मलेशिया को 3-1 से,कनाडा को 3-0 और नीदरलैंड को 2-1 से हराया था। इसके अलावा जर्मनी (1-1 से ड्रा) और स्पेन (1-1) के साथ ड्रा खेला था। सेमीफाइनल में हमने ऑस्ट्रेलिया (3-1) से हराया था।
उन्होंने कहा कि फाइनल के पहले हाफ में भारत और पाकिस्तान दोनों ने वास्तव में अच्छे खेल का प्रदर्शन किया। गोल करने की कई मजबूत संभावनाएं बनीं लेकिन हम दोनों में से कोई भी सफल नहीं हुआ। पहले हाफ में दोनों टीमें ही कोई गोल नहीं कर सकी। भारत ने दूसरे हाफ के पहले पांच मिनट के भीतर ही पेनल्टी कार्नर बनाया। यह स्कोर करने का वास्तव में अच्छा मौका था। पृथ्वीपाल सिंह द्वारा हिट लिया गया था, जो ओलंपिक खेलों में कुल 10 गोल कर चुके थे। लेकिन गेंद को पाकिस्तान के कप्तान (मंज़ूर हुसैन) आतिफ के पैर में मारने के कारण बचाव किया गया। इसके कारण अंपायर ने भारत को पेनल्टी स्ट्रोक दिया। यह हमारा स्वर्णिम अवसर था और मोहिंदर लाल गोल करने में शानदार थे। हमने 1-0 की बढ़त ले ली और यही अंतिम स्कोर रहा। हालांकि पाकिस्तान ने वह सब किया जो वे बराबरी और बढ़त लेने के लिए कर सकते थे, लेकिन हमने पूरे दिल से स्कोर का बचाव किया था। यह एक बहुत ही यादगार मैच था और व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए बहुत रोमांचकारी था क्योंकि यह मेरा पहला ओलंपिक था। मेरे पहले ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना निश्चित रूप से एक शानदार अहसास था।
अब आधी सदी से अधिक समय के बाद, ओलंपिक फिर से टोक्यो में हो रहा है जहाँ मैंने भारतीय टीम को स्वर्ण पदक जीतते हुए देखना चाहता हूं। मुझे लगता है कि यह हमारी टीम के लिए एक स्वर्ण पदक जीतकर उसी स्थान पर इस इतिहास को दोहराने का एक बड़ा अवसर होगा और यह उतना ही यादगार होगा जितना कि 1964 में हमारे लिए था।
उन्होंने कहा, “भारत को सर्वोच्च सम्मान जीतते देखना हर हॉकी प्रशंसक का सपना होता है। हमारे पास ओलंपिक खेलों को शुरू करने के लिए एक साल है और मैं टोक्यो ओलंपिक के लिए तैयारी करने वाले सभी खिलाड़ियों और सहयोगी स्टाफ को शुभकामनाएं देता हूं। मैं कामना करता हूं कि वे देश के लिए पदक लाएं। ” (एजेंसी, हि.स.)
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