
नई दिल्ली । भारत और ईएफटीए के बीच (Between India and EFTA) व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (Trade and Economic Partnership Agreement) 1 अक्टूबर से लागू होगा (Come into effect from October 1) । इसमें चार देशों का समूह स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन शामिल है ।
इस अवसर पर सरकार राष्ट्रीय राजधानी में भारत मंडपम में एक औपचारिक कार्यक्रम आयोजित करेगी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ईएफटीए देशों के मंत्री इस समारोह की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी और उद्योग प्रतिनिधि शामिल होंगे। भारत और ईएफटीए ने 10 मार्च, 2024 को व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (टीईपीए) पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इस समझौते के कार्यान्वयन के लिए सदस्य देशों में प्रक्रियात्मक अनुमोदन की आवश्यकता थी, जिसके कारण यह अगले महीने की शुरुआत से लागू हो रहा है।
समझौते के तहत, ईएफटीए अपनी 92.2 प्रतिशत टैरिफ लाइनें प्रदान कर रहा है, जो इस क्षेत्र में भारत के 99.6 प्रतिशत निर्यात को कवर करती हैं। ईएफटीए की बाजार पहुंच पेशकश में 100 प्रतिशत गैर-कृषि उत्पाद और कुछ प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों पर टैरिफ रियायतें शामिल हैं। भारत अपनी 82.7 प्रतिशत टैरिफ लाइनें प्रदान कर रहा है, जो ईएफटीए निर्यात के 95.3 प्रतिशत को कवर करती हैं। हालांकि, सोने पर प्रभावी शुल्क अपरिवर्तित रहेगा। यह समझौता भारतीय उपभोक्ताओं के लिए स्विस घड़ियों, व्हिस्की और चॉकलेट जैसे विशिष्ट ईएफटीए वस्तुओं पर टैरिफ कम करेगा।
इस समझौते में सेवाओं की पारस्परिक मान्यता के प्रावधान शामिल हैं, जिससे नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंसी और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों के पेशेवरों को ईएफटीए देशों में काम करने की अनुमति मिलती है। इसमें बौद्धिक संपदा अधिकारों को भी शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य पेटेंट सुरक्षा उपायों, विशेष रूप से फार्मा उत्पादों में पेटेंट के सदाबहार उपयोग, के बारे में भारत की चिंताओं का समाधान करना है।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) को “विश्वास और दक्षता साझेदारी” कहा है और यह एक ऐसा रिश्ता जो आपसी विश्वास और पूरकता पर आधारित है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह साझेदारी भारत और चार ईएफटीए देशों के बीच सहयोग के एक नए युग की शुरुआत करेगी, जिससे व्यापार, निवेश और नवाचार के नए रास्ते खुलेंगे। इस समझौते के तहत, ईएफटीए ने 15 वर्षों की अवधि में 100 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है, जिससे भारत में दस लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।
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