
नई दिल्ली । अमेरिका(America) की एक अदालत (court)ने ट्रंप सरकार(Trump Government) के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी(Harvard University) को दी जाने वाली 2.6 अरब डॉलर की रिसर्च फंडिंग में कटौती की गई थी। यह हार्वर्ड के लिए बड़ी जीत है। जज एलिसन बरोज ने कहा कि यह कटौती गलत थी और इसे सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि हार्वर्ड ने सरकार की कुछ मांगों को मानने से इनकार कर दिया था।
पूरा विवाद समझिए
ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड पर आरोप लगाया था कि वह परिसर में यहूदी-विरोधी गतिविधियों को रोकने में नाकाम रहा और वहां बहुत ज्यादा उदारवादी विचारों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रशासन ने 11 अप्रैल को एक पत्र के माध्यम से हार्वर्ड से परिसर में विरोध प्रदर्शनों, अकादमिक नीतियों और प्रवेश प्रक्रियाओं में व्यापक बदलाव की मांग की थी। इस पत्र में छात्रों और शिक्षकों के दृष्टिकोण का ऑडिट करने, “मेरिट-आधारित” प्रवेश और नियुक्ति नीतियों को लागू करने, और विविधता, समानता और समावेशन (DEI) कार्यक्रमों को बंद करने जैसे कदमों की मांग की गई थी।
हार्वर्ड ने 14 अप्रैल को इन मांगों को ठुकरा दिया, जिसके तुरंत बाद ट्रंप प्रशासन ने 2.2 अरब डॉलर की रिसर्च फंडिंग को फ्रीज कर दिया। मई में शिक्षा सचिव लिंडा मैकमोहन ने घोषणा की कि हार्वर्ड नई फंडिंग के लिए पात्र नहीं होगा, और बाद में प्रशासन ने हार्वर्ड के साथ कॉन्ट्रैक्ट्स को रद्द करना शुरू कर दिया।
न्यायिक फैसला
जज बरोज ने अपने 84 पेज के आदेश में कहा कि ट्रंप प्रशासन ने यहूदी-विरोधी गतिविधियों का हवाला देकर रिसर्च फंडिंग को अवैध रूप से रोकने के लिए “फर्जी कहानी” बनाई। जज ने अपने फैसले में कहा कि सरकार ने यहूदी-विरोधी गतिविधियों का बहाना बनाकर हार्वर्ड की फंडिंग रोकी, जो गलत था। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने कानून के नियमों का पालन नहीं किया। जज ने आदेश दिया कि हार्वर्ड की सारी फंडिंग बहाल की जाए और भविष्य में ऐसी कटौती न हो, जो हार्वर्ड के अधिकारों का उल्लंघन करे।
हार्वर्ड की प्रतिक्रिया
हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने यहूदी-विरोधी भावनाओं से लड़ने की प्रतिबद्धता जताई, लेकिन कहा कि कोई भी सरकार निजी विश्वविद्यालयों को यह तय करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती कि वे क्या पढ़ाएं, किसे प्रवेश दें या नियुक्त करें, और किन क्षेत्रों में रिसर्च करें। वाइट हाउस की प्रवक्ता लिज हस्टन ने जज बरोज को “ओबामा द्वारा नियुक्त कार्यकर्ता जज” करार देते हुए फैसले की निंदा की और कहा कि सरकार तत्काल अपील करेगी। उन्होंने दावा किया कि हार्वर्ड ने अपने छात्रों को उत्पीड़न से बचाने में विफलता दिखाई और परिसर में भेदभाव को पनपने दिया। हस्टन ने कहा, “हार्वर्ड को करदाताओं के धन का संवैधानिक अधिकार नहीं है और वह भविष्य में अनुदानों के लिए अयोग्य रहेगा।”
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