
वाशिंगटन। अमेरिका (America) की डोनाल्ड ट्रंप सरकार (Donald Trump government) ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संस्था UNESCO (यूनेस्को) से हटने का ऐलान कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार को पुष्टि की कि यह फैसला राष्ट्रीय हितों के खिलाफ एजेंसी की कार्यप्रणाली और इजरायल विरोधी सोच के चलते लिया गया है। यह फैसला दिसंबर 2026 से प्रभावी होगा। अमेरिका ने आरोप लगाया कि यूएन एजेंसी एंटी इजरायल प्रोपेगेंडा (Anti-Israel propaganda) का अड्डा बन चुकी है।
यह तीसरी बार होगा जब अमेरिका यूनेस्को से बाहर हो रहा है और दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के दौरान। अमेरिका ने पिछली बार 2018 में यूनेस्को छोड़ा था, जिसे 2023 में जो बाइडेन प्रशासन ने फिर से जॉइन किया था।
फूट डालने वाला एजेंडा फैला रहा यूनेस्को
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, “यूनेस्को सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर एक विभाजनकारी एजेंडा चला रहा है। इसके अलावा ‘स्टेट ऑफ फिलिस्तीन’ को सदस्य बनाना अमेरिकी नीति के खिलाफ है और इससे एजेंसी में इजरायल विरोधी बयानबाजी को बल मिला है।”
यह फैसला न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के जरिए सबसे पहले सामने आया और यह संकेत दे गया कि ट्रंप की नीतियों की वापसी हो रही है, खासकर फिलिस्तीन और इजरायल से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के संदर्भ में।
UNESCO का जवाब
यूनेस्को की डायरेक्टर जनरल ऑड्रे अजोले ने अमेरिका के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “हमें इस पर गहरा अफसोस है, लेकिन यह अपेक्षित था। हमने इसकी तैयारी कर रखी थी।” उन्होंने यूनेस्को पर एंटी-इजरायल सोच को खारिज करते हुए कहा, “हमने होलोकॉस्ट शिक्षा और यहूदी-विरोधी के खिलाफ संघर्ष में बड़ी भूमिका निभाई है।” अजोले ने यह भी कहा, “हालात पहले से बदल चुके हैं। अब राजनीतिक तनाव कम हुआ है और यूनेस्को एक बहुपक्षीय सहमति का मंच बन चुका है।”
अमेरिका का साथ छूटने पर क्या होगा असर
यूनेस्को के लिए अमेरिका का हटना वित्तीय तौर पर काफी असरदार हो सकता है, क्योंकि अमेरिका इसकी कुल बजट का करीब 8% हिस्सा देता है। हालांकि, यूनेस्को ने हाल के वर्षों में वित्तीय स्रोतों का विविधीकरण किया है, जिससे वह इस झटके को संभालने में सक्षम हो सकता है। अजोले ने भरोसा दिलाया कि “बजट में कटौती के बावजूद यूनेस्को अपने काम करता रहेगा। अभी किसी स्टाफ कटौती की योजना नहीं है।”
अमेरिका और यूनेस्को के रिश्ते
अमेरिका और यूनेस्को के रिश्ते का इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 1984 में रोनाल्ड रीगन प्रशासन ने यूनेस्को को “भ्रष्ट और सोवियत समर्थक” बताकर अलग होने का फैसला लिया। इसके करीब दो दशक बाद, 2003 में जॉर्ज डब्ल्यू. बुश प्रशासन के तहत अमेरिका फिर यूनेस्को में शामिल हुआ। 2011 में जब यूनेस्को ने फिलिस्तीन को सदस्यता दी, तो अमेरिका और इजरायल दोनों ने एजेंसी की फंडिंग बंद कर दी। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने 2017 में यूनेस्को से बाहर होने का ऐलान किया, जो 2018 में लागू हुआ। 2023 में बाइडन प्रशासन ने अमेरिका की वापसी कराई, लेकिन अब ट्रंप के नेतृत्व में 2026 में एक बार फिर बाहर निकलने की तैयारी है।
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