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राजस्थान के उद्योगों पर ट्रंप के टैरिफ का जबरदस्त असर, क्या बंद हो जाएगा गारमेंट-मार्बल का एक्सपोर्ट?

August 12, 2025

जयपुर। अमेरिका (America) की ओर से घोषित ट्रम्प टैरिफ (Trump tariffs.) (25% टैक्स + 25% पैनल्टी) का राजस्थान (Rajasthan) के निर्यात पर जबरदस्त असर दिखने लगा है। राजस्थान के करीब 20 हजार करोड़ रुपए के निर्यात पर सीधा खतरा मंडरा रहा है। टैरिफ की दरें 50% से 63.9% तक पहुंच गई हैं, जिससे टेक्सटाइल (Textiles), गारमेंट्स (Garments), जेम्स एंड ज्वेलरी, मार्बल, ग्रेनाइट-क्वार्ट्ज, हैंडीक्राफ्ट और कारपेट जैसे श्रम प्रधान उद्योगों की हालत पतली हो रही है। इन उद्योगों में निर्माण लागत का 30% से 65% हिस्सा केवल लेबर पर खर्च होता है। ऐसे में 7 लाख से ज्यादा लोगों के रोजगार पर सीधा संकट गहरा गया है।


राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य का कुल निर्यात 83,407 करोड़ रुपए रहा था। इनमें से लेबर इंटेंसिव पांच सेगमेंट में अमेरिका के बायर्स की हिस्सेदारी 50% से 70% तक है। मार्बल-ग्रेनाइट-क्वार्ट्ज का तो 95% निर्यात अमेरिका को होता है। टैरिफ के बाद इन सेगमेंट्स के बायर्स ने ऑर्डर होल्ड या कैंसिल करना शुरू कर दिया है। कई बायर्स इतनी बढ़ी हुई ड्यूटी के बाद ऑर्डर लेने को लेकर स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे हैं। वहीं कुछ बायर्स 10–20% डिस्काउंट की मांग भी कर रहे हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो सबसे ज्यादा झटका एमएसएमई सेक्टर को लगेगा, जो राज्य में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। राज्य से अमेरिका को करीब 132 तरह के उत्पादों का निर्यात होता है। वर्ष 2024-25 में निर्यात गिरकर 56,916 करोड़ रुपए पर आ गया है, जो पिछले साल की तुलना में 32% कम है। इसके साथ ही देश के कुल निर्यात में राजस्थान की हिस्सेदारी घटकर 1.54% रह गई है।

हालांकि अप्रैल 2025 में राजस्थान के निर्यात में 132.18% की अप्रत्याशित बढ़त दर्ज की गई थी और यह 8,970 करोड़ रुपए तक पहुंचा था। इस दौरान देश के कुल निर्यात में राज्य की हिस्सेदारी 2.73% रही। लेकिन ट्रम्प टैरिफ की घोषणा ने फिर से निर्यातकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रत्यक्ष के साथ-साथ अप्रत्यक्ष निर्यात पर भी इसका गंभीर असर पड़ने वाला है।

राजस्थान के निर्यातकों के लिए वियतनाम (20% टैरिफ), इंडोनेशिया (19% टैरिफ) और तुर्किए (सिर्फ 10% टैरिफ) जैसे देशों से मुकाबला करना मुश्किल होता जा रहा है। भारत के जेम्स एंड ज्वेलरी, टेक्सटाइल, फर्नीचर, मार्बल और ग्रेनाइट उद्योगों के लिए तुर्किए अब सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।

इन उद्योगों से जुड़े करीब 10 लाख लोगों को रोजगार मिलता है, जिनमें कारीगर, कुशल श्रमिक, इंजीनियर और लॉजिस्टिक्स प्रोफेशनल शामिल हैं। निर्यात प्रभावित होने से बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की आशंका जताई जा रही है। हर श्रमिक का वार्षिक श्रम मूल्य दो लाख रुपए आंका गया है।

अमेरिका ने 25% पैनल्टी टैरिफ से बचने के लिए 28 अगस्त तक की मोहलत दी है। लेकिन स्वतंत्रता दिवस और त्योहारी सीजन की छुट्टियों को देखते हुए समय पर ऑर्डर पूरा कर पाना मुश्किल नजर आ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ऑर्डर पूरे नहीं हुए, तो विदेशी मुद्रा में सालाना 40 हजार करोड़ रुपए तक की गिरावट हो सकती है।

राजस्थान हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स जॉइंट फोरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर ब्याज समानीकरण योजना (IES) को फिर से शुरू करने की मांग की है। यह योजना साल की शुरुआत में बंद कर दी गई थी। एक्सपोर्टर्स ने मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव (MAI) स्कीम में विदेशी ट्रेड फेयर्स के लिए मदद बढ़ाने की मांग भी की है। फिलहाल इसका बड़ा हिस्सा दिल्ली के इंडिया ट्रेड फेयर पर खर्च हो रहा है।

इस बीच यूरोपियन यूनियन द्वारा अगले साल से डिफोरेस्टेशन रेगुलेशन लागू करने की खबर से यूरोपीय बाजार के ऑर्डर्स भी पहले ही धीमे हो चुके हैं। वहीं डॉलर को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। भीलवाड़ा से भाजपा सांसद दामोदर अग्रवाल ने दावा किया कि डॉलर गिर रहा है, जबकि ट्रम्प टैरिफ की घोषणा के बाद यह 87.24 रुपए से बढ़कर 87.83 तक पहुंच गया था। फिलहाल डॉलर 87.58 रुपए पर ट्रेड कर रहा है।

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