
नई दिल्ली । दर्जन भर मुस्लिम मुल्कों(The Muslim countries) पर यात्रा प्रतिबंध(Travel Restrictions) लगाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति(us President) डोनाल्ड ट्रंप(donald trump) ने अब दुनिया के एकमात्र हिन्दू राष्ट्र यानी नेपाल के लोगों को करारा झटका दिया है। ट्रंप प्रशासन ने 2015 के भूकंप के बाद हजारों नेपाली नागरिकों को दिए गए निर्वासन संरक्षण को रद्द करने का फैसला किया है। इस वजह से अमेरिका में रह रहे हजारों नेपाली नागरिक अचानक ट्रंप सरकार के निशाने पर आ गए हैं।
एक संक्षिप्त बयान में, यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) ने कहा है कि अमेरिका में अस्थायी तौर पर संरक्षित दर्जे (TPS) के तहत रह रहे नेपाली नागरिकों को खुद-ब खुद अमेरिका छोड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए। बता दें कि नेपाल पर ट्रंप प्रशासन का यह ताजा फैसला और हमला है। इससे पहले जनवरी में हैती और अफगानिस्तान जैसे अन्य देशों की संरक्षित स्थिति हटाई जा चुकी है। इसकी वजह से हजारों लोगों को निर्वासित किया गया है और कई पर अभी भी निर्वासन का खतरा मंडरा रहा है।
अमेरिका ने यह कदम क्यों उठाया?
अब सवाल उठता है कि अमेरिका ने हजारों नेपाली नागरिकों के खिलाफ यह कदम क्यों उठाया है? दरअसल, अमेरिका का यह हालिया कदम नेपाल से जुड़ी उन खबरों के बाद उटाया गया है, जिसमें कहा गया है कि नेपाल ने अब आपदा से उबरने में प्रगति हासिल कर ली है। अमेरिकी गृह सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने गुरुवार को एक नोटिस जारी कर कहा कि प्रशासन नेपाल के लिए अस्थायी संरक्षित दर्जा समाप्त कर दिया है क्योंकि प्रभावित देश ने आपदा से उबरने में प्रगति कर ली है।
नेपाल अब अपनी स्थिति संभालने में सक्षम
नोटिस में कहा गया है, “नेपाल में पर्यावरण आपदा की तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, साथ ही भूकंप से हुए विनाश के बाद से वहां पर्याप्त पुनर्निर्माण भी हुआ है। इससे अब वहां जीवनयापन की स्थितियों में कोई व्यवधान नहीं रह गया है और नेपाल अपने नागरिकों की वापसी को पर्याप्त रूप से संभालने में सक्षम है।”
आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में फिलहाल 12,700 नेपाली प्रवासी नागरिकों के पास टीपीएस दर्जा हासिल है। इनमें से करीब 5500 के पास कानूनन स्थाई प्रवास का भी कार्ड है। टीपीएस दर्जा उन्हें अमेरिका से निर्वासन से सुरक्षा प्रदान करता है और उन लोगों के लिए काम करने की अनुमति देता है जो पहले से ही अमेरिका में रह रहे हैं। लेकिन अब उन्हें जल्द ही नेपाल लौटना पड़ सकता है। नोटिस में कहा गया है कि 60 दिनों के बाद इन लोगों को अमेरिका छोड़ना होगा।
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